उत्तरकाशी:पीढ़ी दर पीढ़ी पूरा जीवन यहां कट रहा है, आधार कार्ड भी बन गया, वोटर कार्ड भी बना, लेकिन आज भी हर सुविधाओं से हम वंचित हैं. विदेशी बोलकर कोई भी सहायता नहीं की जा रही है. ये हम नहीं बल्कि उत्तरकाशी जनपद में रहने वाले वह नेपाली मूल के गोर्खाली समुदाय के मजदूर कह रहे हैं. जिन पर कोरोना महामारी के चलते आज रोजी-रोटी पर भारी संकट मंडरा रहा है.
नेपाली मूल के मजदूरों का कहना है कि यह भेदभाव आज ही नहीं बल्कि वर्षों से उनके साथ हो रहा है. जनपद में आई आपदाओं और विषम परिस्थितियों में हमेशा ही उनकी अनदेखी की गई है. जबकि वह वर्षों से स्थानीय लोगों के सुख-दुख के भागीदार रहे हैं. वहीं इन गोर्खाली लोगों का कहना है कि क्या हम इंसान नहीं हैं, क्या हमें जीने का हक नहीं है?
वर्षों से गंगोरी में रह रहे नेपाली मूल के बुजुर्ग नन्दराम जोशी का कहना है कि 1991 का भूकम्प हो या वर्ष 2012-13 की बाढ़. दुसरे लोगों की तरह हमने भी हर तरह की आपदा झेली. लेकिन, हर बार विदेशी बोलकर उनकी अनदेखी की गई. जबकि पीढ़ी दर पीढ़ी काटने के बाद आज उनके पास भारत का आधार कार्ड से लेकर वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड भी बना हुआ है. लेकिन कोई भी हमे भारतीय मानने को तैयार नही. जोशी का कहना है कि कोरोना की महामारी ने उनका रोजगार छीन लिया. अब ऐसी स्थिति में अपने बेबस परिवार को लेकर जाएं भी तो जाएं कहां?