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जर्मन ट्रैकर्स को भायी पहाड़ी संस्कृति, खेतों में जाकर काटी फसलें

जर्मनी के एक 28 वर्षीय युवक और 24 वर्षीय युवती अगोड़ा गांव पहुंचे. जहां पर दोनों विदेशी ट्रैकर्स ने ग्रामीणों संग खेतों में सरसों की फसल काटी और साथ ही पीठ पर लादकर ग्रामीणों के घरों तक पहुंचाया.

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Published : May 18, 2019, 7:31 AM IST

जर्मन ट्रैकर्स

उत्तरकाशीः यूं तो दुनिया के विभिन्न देशों के नागरिक पहाड़ की संस्कृति और परम्परा की ओर खिंचे चले आते हैं. साथ ही कई विदेशी लोग भारतीय परंपरा से विवाह भी कर चुके हैं, लेकिन बीते गुरुवार को डोडीताल ट्रैक के मुख्य पड़ाव अगोड़ा गांव में एक अलग ही नजारा देखने को मिला. जर्मनी के एक 28 वर्षीय युवक और 24 वर्षीय युवती अगोड़ा गांव पहुंचे. जहां पर दोनों विदेशी ट्रैकर्स ने ग्रामीणों संग खेतों में सरसों की फसल काटी और साथ ही पीठ पर लादकर ग्रामीणों के घरों तक पहुंचाया.

विदेशी ट्रैकर्स ने ग्रामीणों संग खेतों में सरसों की फसल काटी.

अगोड़ा गांव निवासी सुनील पंवार ने ETV bharat को फोन पर जानकारी दी कि जर्मन निवासी 28 वर्षीय फॉफन और 24 वर्षीय युवती पोला हेसगन डोडीताल ट्रैक पर ट्रैकिंग के लिए पहुंचे. इसी बीच वह अगोड़ा गांव में रुके. जहां उन्होंने ग्रामीणों को खेतों में काम करते हुए देखा.

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पहाड़ की पगडंडियों और चढ़ाई वाले रास्तों पर औरतों को पीठ पर फसल ढोते हुए जब देखा तो विदेशी जर्मन युवक युवतियों का मन भी हुआ कि पहाड़ की खेती का अनुभव किया जाए. जिसके बाद फॉफन और पोला हेसगन ने अगोड़ा गांव की ग्रामीण महिलाओं के साथ खेत में जाकर फसलें काटी और पीठ पर लादकर ग्रामीणों के घरों तक भी फसल को पहुंचाया.


अगोड़ा गांव के ट्रैकिंग व्यवसाय से जुड़े प्रवीण रावत ने बताया कि विदेशी युवक युवतियों को खेतों में काम करते देख ग्रामीण काफी उत्साहित थे. साथ ही जर्मन के युवक युवती का कहना था कि उनके लिए उत्तराखंड के पहाड़ों में खेती करना एक यादगार अनुभव है.


उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि डोडीताल ट्रैक के दौरान उन्हें इस प्रकार से खेती करने का मौका मिलेगा. साथ ही उन्होंने ग्रामीणों के साथ स्थानीय पकवानों का भी लुफ्त उठाया. साथ ही पहाड़ की संस्कृति की जानकारी भी ली.

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