उत्तरकाशी: देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट आगामी 26 अप्रैल को विधिवत परंपरा के अनुसार खोले जाएंगे. इसके लिए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पंडा पुरोहित समाज ने पूरी तैयारी कर ली है.
वहीं, कोरोना वायरस के चलते अभी भी कपाट खुलने के समय धामों में मौजूद पुरोहितों की संख्या पर संशय बना हुआ है. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पुरोहित समाज के अनुसार यह इतिहास में पहली बार होगा कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बिना श्रद्धालुओं के खुलेंगे.
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आगामी 25 अप्रैल को गंगा जी की डोली भोगमूर्ति के साथ दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा से गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी. जो कि गंगोत्री धाम से 9 किमी पहले भैरो घाटी स्थित भैरो मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी. 26 अप्रैल को मां गंगा की डोली गंगोत्री धाम पहुंचेगी.
26 अप्रैल को अक्षया तृतीया के दिन दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे. वहीं, यमुना जी की डोली भोगमूर्ति के साथ भाई शनि महाराज की अगुवाई में 26 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होगी. सुबह 11 बजे मां यमुना यमुनोत्री धाम पहुंचेगी. 12 बजकर 41 मिनट पर विधिवत रूप से यमुनोत्री धाम के कपाट खोले जाएंगे.
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गंगोत्री धाम मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि कपाट खोलने को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मंदिर समिति ने जिला प्रशासन से कपाट खुलने के समय 21 लोगों की अनुमति मांगी है. उन्होंने बताया कि 15 पुजारी मां गंगा के झलसे के साथ मुखबा से गंगोत्री धाम तक अनिवार्य होते हैं.
यमुनोत्री धाम मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने बताया कि पुरोहित समाज की उपस्थिति को लेकर प्रशासन से बात की जा रही है. वहीं, उत्तरकाशी जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि जिला प्रशासन ने कोरोना संकट को देखते हुए कपाट खुलने के समय शासन के निर्देश पर अपनी योजना तैयार की है. सम्बन्धित क्षेत्रों के एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि पंडा समाज से वार्ता कर नियमों के साथ दोनों धामों के कपाट खोले जाएं.