उत्तरकाशी: त्रिवेंद्र कैबिनेट ने 80 साल पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए बुधवार को उत्तराखंड चार धाम श्राइन प्रबंधन बोर्ड विधेयक-2019 को मंजूरी दी है. चारों धामों को एक छतरी के नीचे लाने की यह कोशिश की गई है. ताकि चार धाम समेत अन्य प्रसिद्ध मंदिरों का कायाकल्प, प्रबंधन और यात्रा संचालन श्रीवैष्णो देवी माता मंदिर, सांई बाबा, जगन्नाथ और सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर हो सके. लेकिन त्रिवेंद्र कैबिनेट के इस फैसला का गंगोत्री मंदिर धाम समिति और धाम के पुरोहित समाज ने विरोध किया है.
गंगोत्री मंदिर धाम समिति का कहना है कि सरकार अब उनके हक हकूकों को छीनने जा रही है. पुरोहितों का कहना है कि एक ओर तो सरकार उन्हें बुलाकर सुविधाओं के लिए सुझाव मांग रही है तो वहीं दूसरी और उन पर चार धाम श्राइन थोप रही है. जिसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पुरोहितों ने कहा कि अगर सरकार इस बोर्ड को थोपगी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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गुरुवार को गंगोत्री मंदिर धाम समिति और धाम के पुरोहित समाज के लोग बस अड्डे स्थित गंगोत्री धाम धर्मशाला में एकत्रित हुए, जहां उन्होंने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उनका कहना है कि गंगोत्री धाम में मुखबा गांव के सेमवाल जाती के लोग वंशानुगत पूजा पाठ कर रहे हैं. यह मात्र गंगोत्री नहीं बल्कि चारों धामों की बात है.
गंगोत्री धाम मंदिर समिति के सह सचिव राजेश सेमवाल का कहना है कि सरकार अगर कुछ करना ही चाहती है तो यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को उचित व्यवस्थाएं दी जाएं. धामों की जो अपनी समितियां हैं वह धामों में उचित व्यवस्थाएं कर रही हैं. इसलिए वे श्राइन बोर्ड का विरोध कर रहे हैं.
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साथ ही पुरोहित अशोक सेमवाल का कहना है कि चारधाम विकास परिषद और श्राइन बोर्ड का विरोध पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने भी किया था. आज राज्य सरकार उसी बिल को चारधामों पर थोप रही है, जो गलत है.