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उत्तरकाशी आपदाः धीरे-धीरे पटरी पर लौटती जिंदगी, मंडी में सेब की आवक शुरू

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Published : Sep 16, 2019, 6:28 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 7:07 PM IST

उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्र के आराकोट-चिंवा, चिंवा-मौंडा-ब्लावट, टिकोची-किराणू-दुचाणू, बरनाली-माकुड़ी, बरनाली-गोकुल-झोटाड़ी मोटर मार्ग के खुलने से ग्रामीणों का सेब मंडियों तक पहुंचने लगा है.

apple crops in arakot

पुरोलाःबीते 18 अगस्त को आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोठीगाड़ में आई जलप्रलय के बाद धीरे-धीरे जन जीवन पटरी पर लौटने लगा है. आपदा से बंद हुए क्षेत्र के सभी मोटर मार्ग सुचारू हो गए हैं. जिसके बाद लोगों के आय का मुख्य स्त्रोत सेब की फसल मंडियों तक पहुंचने लगा है. अब तक करीब एक लाख सेब की पेटियां मंडी पहुंच चुके हैं.

मंडियों तक पहुंचने लगा सेब.

गौर हो कि, बीते 18 अगस्त को मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जिससे भारी तबाही मची थी. माकुड़ी में कई मकान जमींदोज गए. जिसमें कुछ लोग जिंदा दफन हो गए. वहीं, माकुड़ी नदी के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन बह गए.

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आपदा से माकुड़ी और आराकोट में कई लोग काल-कवलित हो गए थे. साथ ही अभी भी कई लोग लापता हैं. इस जलसैलाब में जन हानि के साथ कृषि भूमि और सेब के बगीचों की भारी तबाही हुई थी. साथ ही मोटर मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे, लेकिन अब सड़क सुविधा बहाल हो गई है.

इस बार कोठीगाड़ क्षेत्र में सेब की बंपर पैदावार हुई थी. इस साल पूरी घाटी में करीब 7-8 लाख सेब के बॉक्स निकलने का अनुमान था, लेकिन करीब आधा सेब आपदा की भेंट चढ़ गया. ज्यादार सेब मोटर मार्ग के बंद होने के कारण बगीचों में ही सड़ गया. समय से तुड़ान ना होने से सेब ड्रॉप हो गया था.

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वहीं, क्षेत्र के आराकोट-चिंवा, चिंवा-मौंडा-ब्लावट, टिकोची-किराणू-दुचाणू, बरनाली-माकुड़ी, बरनाली-गोकुल-झोटाड़ी मोटर मार्ग के खुलने से ग्रामीणों का सेब मंडियों तक पहुंचने लगा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि मोटर मार्ग खुलने के बाद करीब एक लाख सेब की पेटियां मंडियों तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन इस समय मंडियों में रेट अच्छा ना मिलने से ग्रामीणों में मायूसी है.

उधर, अभी भी आपदा पीड़ितों के जहन में जलप्रलय के जख्म ताजा हैं. जिसे यादकर सभी सिहर जाते हैं. उनका कहना है कि इस आपदा ने उनका काफी कुछ छीन लिया था. आजीविका का साधन भी बर्बाद कर दिया है. हालांकि, अब जितने भी सेब बचे हैं, उन्हें जल्द से जल्द मंडियों तक पहुंचाना है.

Last Updated : Sep 16, 2019, 7:07 PM IST

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