उत्तरकाशी: जिले में साल 1991 के आए भूकंप को याद कर लोग आज भी सहम जाते हैं. हर साल भूकंप से निपटने के लिए कई प्रकार के मॉकड्रिल किए जाते हैं, लेकिन भूकंप के दौरान होने वाले नुकसान पर अभी भी शासन-प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा. वहीं, विशेषज्ञों की मानें तो साल 1991 में भूकंप रोधी भवनों के निर्माण शैली की अनदेखी ही स्थानीय लोगों पर भारी पड़ी थी और आज की स्थिति ज्यादा भयानक मंजर दिखा सकती है.
बता दें कि उत्तरकाशी जनपद भूकंप के दृष्टिकोण से जोन 5 में आता है. साल 1991 के बाद से कई ऐसे भूकंप के झटके महसूस किए गए, जोकि भविष्य में बड़ी त्रासदी की ओर इशारा करते हैं. हालांकि 1991 के बाद से भूकंप के कारण कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. लेकिन आज के तकनीकी युग में बन रहे भवन और साइट सेलेक्शन कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकते हैं.