उत्तरकाशीः द्रौपदी का डांडा 2 में हुई एवलॉन्च त्रासदी हमेशा उत्तराखंड के जेहन में ताजा रहेगी. बीते मंगलवार यानी 4 अक्टूबर को जब डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में एवलॉन्च हादसे की खबर मिली तो किसी ने सोचा नहीं था कि 29 जानें जाएंगी. हालांकि, इनमें से दो पर्वतारोही अभी भी लापता हैं. ये एक ऐसी त्रासदी है, जिसने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में कई घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझा दिए. उत्तरकाशी में हुई इस घटना ने एक झटके में पूरे देश को हिलाकर रख दिया. पर्वतारोहण के क्षेत्र में इसे हमेशा काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा.
उत्तरकाशी एवलॉन्च (Uttarkashi Avalanche) कीइस घटना में न सिर्फ पर्वतारोहियों की जानें गईं, बल्कि उन सपनों की भी मौत हुई है, जो साहस और रोमांच की दुनिया में कदम रखने को उत्साहित थे. घटना के बाद हर किसी परिजन को आस थी कि शायद उनका कोई अपना जरूर मौत से दो-दो हाथ करके इस दुर्भाग्य को बताने के लिए जिंदा रह सकेगा, लेकिन नियति ने उन्हें ऐसा नसीब नहीं होने दिया. जब अपनों की लाशें सामने थीं तो आंसुओं का सैलाब भी उमड़ रहा था. सोमवार को जब सभी बरामद शव मातली हेलीपैड लाए गए तो परिजनों की आंखों में फिर आंसुओं का सैलाब था. अपनों के लिए जो सपने देखे और दिखाए थे, उन यादों को सीने से लगाने के सिवाय और कुछ भी पास न होगा.
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जब अपनों की मौत की खबर सुनी तो परिजन मातली हेलीपैड पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान (Gangotri MLA Suresh Chauhan) के गले लगकर फूट-फूटकर रोते हुए देखे गए. गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान और जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने परिजनों को धैर्य और साहस देकर ढांढस बंधाया. विधायक चौहान ने कहा कि इस प्रकार की घटना से हम सबको सबक लेने की आवश्यकता है. परिजनों ने अपने युवा बच्चों को खोया है. ये बहुत ही दुखद घड़ी है. विधायक ने कहा कि ऐसा दुखद दृश्य उन्होंने जीवन में नहीं देखा. प्रभु परिजनों को इस दुख को सहन शक्ति करने की शक्ति दे.
गौर हो कि बीती 4 अक्टूबर को उत्तरकाशीजिले के द्रौपदी का डांडा 2 (Draupadi Ka Danda Avalanche) के डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में एवलॉन्च की घटना हुई थी. जिसकी चपेट में एडवांस कोर्स प्रशिक्षण के लिए गए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) के प्रशिक्षु पर्वतारोही और प्रशिक्षक आ गए थे. जिनमें उत्तरकाशी की लौंथरू गांव की माउंट एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल (Mountaineer Savita Kanswal), भुक्की गांव की पर्वतारोही नौमी रावत (Mountaineer Navami Rawat), अल्मोड़ा के पर्वतारोही अजय बिष्ट समेत 29 पर्वतारोहियों की जान चली गई थी.
- सिलसिलेवार जानिए घटनाक्रम-4 अक्टूबर को करीब पौने नौ बजे एवलॉन्च की चपेट में आए प्रशिक्षु पर्वतारोही और प्रशिक्षक.
- 4 अक्टूबर को ही फर्स्ट रिस्पांडर ने 4 शव बरामद किए.
- 6 अक्टूबर को रेस्क्यू दल घटनास्थल पर पहुंचा और 15 शव बरामद किए.
- 7 अक्टूबर को रेस्क्यू दल ने 7 और शव बरामद किए. घटना के दिन बरामद चार शवों को उत्तरकाशी पहुंचाया गया.
- 8 अक्टूबर को 7 शवों को एडवांस बेस कैंप से मातली हेलीपैड पहुंचाया गया. वहीं, रेस्क्यू दल ने घटना स्थल से एक और शव बरामद किया.
- 9 अक्टूबर को 10 शव सेना के हेलीकॉप्टर से मातली लाए गए.
- अब तक 26 शव परिजनों को सौंप जा चुके हैं.
- मौसम खराब होने की वजह से एक शव एडवांस बेस कैंप (डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र) में ही है.
- वहीं, 2 पर्वतारोही अभी भी लापता हैं.
- बर्फबारी और खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोका गया है.
अपनों को खोने का गम: हिमस्खलन हादसे ने कई परिवारों के चिराग छिन लिए, हिमाचल प्रदेश के नारकंडा गांव का कैंथला परिवार भी इनमें से एक है. हादसे में गांव के एक बेटे की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अगले दिन गांव के एक और बेटे का शव पहुंच गया. शव गांव पहुंचते ही परिवार में मातम छा गया. गम में चूर परिजन किसी तरह बेटे का शव लेकर गांव रवाना हुए. बीते चार अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे में हिमाचल के नारकंडा गांव निवासी शिवम कैंथला और अंशुल कैंथला लापता हो गए थे.
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हादसे के तीन दिन बाद पहले शिवम कैंथला का शव जिला मुख्यालय उत्तरकाशी लाया गया. शिवम के पिता संतोष कैंथला रोते बिलखते बेटे का शव लेकर गांव रवाना हुए थे. बीते शनिवार को ही शिवम का गांव के पैतृक घाट पर नम आंखों से अंतिम संस्कार किया गया, इसके अगले ही दिन हादसे में लापता अंशुल कैंथला का शव भी उत्तरकाशी पहुंच गया. अशुंल के पिता पूर्व सैनिक इंदर कैंथला हादसे में इकलौते बेटे के सकुशल लौटने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन बेटे का शव देखते ही वो टूट गए.