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हल्की बारिश में नगर प्रशासन के इंतजामों की पोल खुली, पानी-पानी हुआ जिला सभागार - उत्तरकाशी न्यूज

दो माह से हल्की सी बरसात में जिला सभागार परिसर में जलभराव हो रहा है. जिला सभागार परिसर की यह दयनीय स्थिति देख यही सवाल उठ रहा कि जब अधिकारी अपने परिसर की सुरक्षा ही नहीं कर पा रहे तो नगर और जनपद के दूरस्थ क्षेत्रों की स्थिति क्या सुधरेगी.

जलभराव

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Published : May 24, 2019, 6:18 PM IST

उत्तरकाशी: नगरपालिका की लापरवाही जिला प्रशासन पर भारी पड़ रही है. वहीं, हल्की सी बारिश में ही नगर के ड्रेनेज सिस्टम की पोल भी खुलकर सामने आ गई है. नगर के जिला सभागार के बाहर नालियों का निर्माण किया गया है, लेकिन उनकी पोल मई की बारिश ने ही खोलकर रख दी है. ऐसे में नालियां चोक होने के कारण जिला सभागार परिसर में जलभराव हो गया है.

जिला सभागार में जलभराव से नागरिक परेशान.

शुक्रवार सुबह से जिला सभागार में जलभराव की स्थिति बनी हुई है, लेकिन बावजूद इसके इस मामले में कोई भी अधिकारी गंभीर नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब जिला सभागार परिसर की स्थिति इतनी दयनीय है तो मानसून में नगर की स्थिति कैसी होगी.

साथ ही जब जिले के अधिकारी अपने परिसर की स्थिति नहीं सुधार पा रहे हैं तो सीमांत जनपद की अच्छी स्थिति करना बेमानी होगा. वहीं, जिला सभागार परिसर में स्थित कलक्ट्रेट कैंटीन में जाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को जलभराव के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उसके बाद भी जिले के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं.

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बता दें कि यह स्थिति जिला सभागार में पहली बार नहीं है बल्कि गत दो माह से हल्की सी बरसात में जिला सभागार परिसर में जलभराव हो रहा है. वहीं नालियों से सारी गंदगी बहकर जिला सभागार परिसर में जमा हो रही है. जिला सभागार परिसर की यह दयनीय स्थिति देख यही सवाल उठ रहा कि जब अधिकारी अपने परिसर की सुरक्षा ही नहीं कर पा रहे तो नगर और जनपद के दूरस्थ क्षेत्रों की स्थिति क्या सुधरेगी.

गत दो माह पूर्व नगर पालिका ने जिला सभागार के बाहर तिलोथ रोड पर नालियों का निर्माण शुरू किया लेकिन अभी तक नालियों का निर्माण सही न हो पाने के कारण नालियां चोक हो रही हैं. इसलिए नालियां चोक होने के कारण बरसात का पानी नालियों में जमा होकर जिला सभागार परिसर में एकत्रित हो रहा है. जबकि, जिला सभागार में हर दिन जिले के उच्च अधिकारियों की बैठक होती है.

लेकिन उसके बाद भी इस समस्या का शायद जिला प्रशासन के अधिकारियों के पास कोई विकल्प नहीं है. तो ऐसे में जब एक नाली का ही समाधान नहीं है, तो जिले के विकास कार्यों से उम्मीद करना बेमानी होगा.

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