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प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में शामिल है डोडीताल का अन्नपूर्णा मंदिर, नौ अप्रैल को खुलेंगे कपाट

डोडीताल में देश के दस प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में एक अन्नपूर्णा मंदिर स्थित है. यह ऐसा पहला मंदिर है जहां गणेश और पार्वती स्वरुप मां अन्नपूर्णा एक साथ मंदिर में विराजमान हैं. इसी स्थान पर पार्वती ने ताल में स्नान से पूर्व अपनी सुरक्षा के लिए उबटन से गणेश की उत्पत्ति की थी. ग्रीष्मकाल के लिए अन्नपूर्णा मंदिर कपाट नौ अप्रैल को खुलेंगे. जिसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं.

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ग्रीष्मकाल के लिए खुलेंगे अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट

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Published : Apr 7, 2023, 6:53 PM IST

उत्तरकाशी: डोडीताल के समीप स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट दो दिन बाद नौ अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाएंगे. देश के दस प्रसिद्ध गणेश मंदिरों से इस एक मंदिर में भगवान गणेश की पूजा उनकी मां अन्नपूर्णा के साथ होती है. ऐसी मान्यता है कि पार्वती स्वरुप मां अन्नपूर्णा ने यहां ताल में स्नान से पूर्व अपनी सुरक्षा के लिए उबटन से गणेश की उत्पत्ति की थी.

समुद्रतल से 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल करीब एक किमी के दायरे में फैली लंबी-चौड़ी झील है. जिसके एक किनारे पर मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है. मंदिर में भगवान गणेश अपनी मां अन्नपूर्णा के साथ विराजमान हैं. मां अन्नपूर्णा मंदिर के पुजारी आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट के साथ ही भाईदूज पर्व पर बंद किए जाते हैं, जो बैसाख कृष्णपक्ष की गणेश चतुर्थी को खोले जाते हैं.

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इस बार 9 अप्रैल को 11ः15 मिनट पर अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट खोले जाएंगे. मंदिर के कपाट उद्घाटन के लिए 8 अप्रैल को ही अगोड़ा गांव से उत्तरौं, भंकोली व नौगांव के ईष्ट देव नागदेवता की डोली यात्रा के साथ श्रद्धालु डोडीताल रवाना हो जाएंगी. अगले दिन 9 अप्रैल को कपाट उद्घाटन की प्रक्रिया सुबह सवा नौ बजे से शुरू कर दी जाएगी. पूजा-अर्चना व स्तुति के बाद अभिजीत मुहूर्त में मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट सवा ग्यारह बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. इस मंदिर की गिनती देश के दस प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में होती है.पुजारी आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया यह पहला मंदिर है जहां गणेश व पार्वती स्वरुप मां अन्नपूर्णा मंदिर में विराजमान हैं. शिव मंदिर के बाहर विराजमान हैं.

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डोडीराजा के रुप में पूजे जाते हैं गणेश:आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया स्कंदपुराण में वर्णित कथा के अनुसार डोडीताल मां पार्वती का स्नानस्थल था. जहां एक बार जब मां पार्वती स्नान के लिए जा रही थी, तो उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए एक बालक की दिव्य आकृति बनाई. जिसमें डोडीताल का जल डाला तो उसमें प्राण आ गए. इसी बालक ने जब शिव का रास्ता रोका तो उनके बीच युद्ध हुआ. तब शिव ने गणेश का सिर काट दिया. बाद में हाथी के बच्चे का सिर लगाकर गणेश भगवान को पुनर्जीवित किया गया. यहां स्थानीय बोली में गणेश को डोडीराजा कहा जाता है, जो केदारखंड में गणेश के लिए प्रचलित नाम डुंडीसर का अपभ्रंश है. मंदिर के कपाट खुलने के बाद बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं.

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कैसे पहुंचे डोडीताल:जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से डोडीताल करीब 32 किमी की दूर है. अगोड़ा गांव तक 15 किमी की दूरी वाहन से तय की जा सकती है. जिसके बाद करीब 16 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. जहां एक छोटा प्राचीन मां अन्नपूर्णा का मंदिर है. इसके पास ही एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है.

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