उत्तरकाशी: डोडीताल के समीप स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट दो दिन बाद नौ अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाएंगे. देश के दस प्रसिद्ध गणेश मंदिरों से इस एक मंदिर में भगवान गणेश की पूजा उनकी मां अन्नपूर्णा के साथ होती है. ऐसी मान्यता है कि पार्वती स्वरुप मां अन्नपूर्णा ने यहां ताल में स्नान से पूर्व अपनी सुरक्षा के लिए उबटन से गणेश की उत्पत्ति की थी.
समुद्रतल से 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल करीब एक किमी के दायरे में फैली लंबी-चौड़ी झील है. जिसके एक किनारे पर मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है. मंदिर में भगवान गणेश अपनी मां अन्नपूर्णा के साथ विराजमान हैं. मां अन्नपूर्णा मंदिर के पुजारी आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट के साथ ही भाईदूज पर्व पर बंद किए जाते हैं, जो बैसाख कृष्णपक्ष की गणेश चतुर्थी को खोले जाते हैं.
इस बार 9 अप्रैल को 11ः15 मिनट पर अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट खोले जाएंगे. मंदिर के कपाट उद्घाटन के लिए 8 अप्रैल को ही अगोड़ा गांव से उत्तरौं, भंकोली व नौगांव के ईष्ट देव नागदेवता की डोली यात्रा के साथ श्रद्धालु डोडीताल रवाना हो जाएंगी. अगले दिन 9 अप्रैल को कपाट उद्घाटन की प्रक्रिया सुबह सवा नौ बजे से शुरू कर दी जाएगी. पूजा-अर्चना व स्तुति के बाद अभिजीत मुहूर्त में मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट सवा ग्यारह बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. इस मंदिर की गिनती देश के दस प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में होती है.पुजारी आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया यह पहला मंदिर है जहां गणेश व पार्वती स्वरुप मां अन्नपूर्णा मंदिर में विराजमान हैं. शिव मंदिर के बाहर विराजमान हैं.