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सावन में शांत मुद्रा में रहते हैं भगवान शिव, कलयुग में उत्तरकाशी का है खास महत्व

मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि सावन माह में पड़ने वाले चारों सोमवार को पूजा-पाठ और रुद्राभिषेक से विशेष लाभ मिलता है.

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Published : Jul 17, 2019, 10:20 AM IST

Updated : Jul 17, 2019, 12:05 PM IST

सावन का पवित्र माह शुरू

उत्तरकाशी:आज से भगवान शिव की विशेष आराधना के लिए सावन मास का शुभारंभ हो गया है. सावन माह में शिवभक्ति का विशेष महत्व है. देवभूमि उत्तराखंड को शिव की भूमि कहा गया है. आज भी शिव विभिन्न रूपों में उत्तराखंड के आराध्य देव हैं. मान्यता है कि उत्तरकाशी में सावन माह में भगवान शिव मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न हो जाते हैं.

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कहा जाता है कि इदं काशी तत काशी सर्वत्र पूज्यते. मतलब देश की दोनों काशियों में भगवान शिव की महिमा एक जैसी ही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव कलयुग में उत्तर की काशी उत्तरकाशी में बस गए थे. जिसे पुराणों में सौम्यकाशी भी कहा गया है. भगवान शिव सावन माह में बिल्कुल शांत स्वभाव में रहते हैं. वहीं जो भी भक्त शिव की सच्चे मन से भक्ति करता है. भगवान शिव उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.

कलयुग में उत्तरकाशी का है खास महत्व

जनपद के गोपेश्वर मंदिर के पुजारी गणेश नोटियाल ने बताया कि उत्तरकाशी में भगवान शिव की आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. काशी में भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करने सभी कष्ट दूर होते हैं.

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भगवान शिव सावन माह में ध्यान मुद्रा में शांत स्वभाव में रहते हैं. भगवान शिव एक ऐसे देव हैं, जो कि मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न हो जाते हैं. इसलिए उन्हें महादेव कहा जाता है. सावन में सोमवार को भगवान शिव जो व्यक्ति सच्चे मन दूध, घी और बेलपत्र चढ़ाता है. उसकी भोले हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.

Last Updated : Jul 17, 2019, 12:05 PM IST

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