पुरोला:राज्य के पहाड़ी इलाकों में प्रकृति ने अपनी अद्भुत छटा बिखेरी है. यहां के हरे मखमली घास के मैदानों की दुनिया किसी स्वप्नलोक से कम नहीं लगती. आमतौर पर 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ये बुग्याल किसी अलग ही दुनिया का एहसास कराते हैं. उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड में मौजूद देव क्यारा बुग्याल भी इन्हीं में से एक है, जिसे प्रकृति ने अपने हाथों से संवारा है. इसकी खूबसूरती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने इसे ट्रैक ऑफ द इयर 2019 के खिताब से नवाजा है.
देव क्यारा बुग्याल के लिए मोरी विकासखंड के जखोल गांव से लगभग 27 किलोमीटर का ट्रैक ओबरा नदी के किनारे-किनारे होते हुए पूरा किया जाता है. इसके रास्ते में प्रकृति के साथ मातृ देवी के दर्शन करते हुए यात्री आगे बढ़ते रहते हैं. इन्हीं सुंदर जंगलों में भेड़, बकरी पालक अपने मवेशियों के साथ रहते हैं. इस ट्रैक के रूट में कई प्रकार के औषधीय पादप, बांज, बुरांस, भोजपत्र, थूनेर, देवदार आदि के मिश्रित जंगल पाये जाते हैं.
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इन बुग्यालों में अनेकों प्रकार के औषधीय पौधों की भरमार है. यहां संजीवनी बूटी से लेकर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को मात देने वाले जड़ी बूटियां मौजूद हैं. यहां के लोगों को ही इन जड़ी बूटियों की पहचान होती है.
प्राकृतिक छटाओं का आंनद लेते-लेते कब यात्री बुग्याल क्षेत्र में पहुंच जाते हैं, पता ही नहीं चलता. इस तरह के बुग्याल ट्रैक पर जाते हुए जलवा लकड़ियों को भी साथ ले कर जाना पड़ता है. देव क्यारा बुग्याल लगभग 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ये बुग्याल तीन ओर से बर्फ और ग्लेशियरों से घिरा है. इसके नीचे हरे घास का मैदान है जो लगभग 4 से 5 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस हरी घास के मैदान को ही बुग्याल कहा जाता है. इस पूरे क्षेत्र में मखमली घास उगी हुई है, जिसे स्थानीय भेड़ पालक अपने मवेशियों को खिलाते हैं.