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अकहानी आंदोलन के जनक गंगा प्रसाद विमल का श्रीलंका में निधन, बेटी-पोते की भी मौत - उत्तरकाशी की मुख्य न्यूज

अकहानी आंदोलन के जनक गंगा प्रसाद विमल उनकी बेटी और पोते की सड़क दुर्घटना के दौरान मृत्यु हो गई है. 3 जून 1939 में उत्तरकाशी की गंगा घाटी में जन्मे डॉ. गंगा प्रसाद विमल हिन्दी साहित्य के अकहानी आंदोलन के जनक माने जाते हैं.

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डॉ. गंगा प्रसाद विमलः फाइल फोटो

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Published : Dec 25, 2019, 11:39 PM IST

उत्तरकाशी:हिंदी के शीर्षस्थ रचनाकार डॉ. गंगा प्रसाद विमल की सड़क दुर्घटना के दौरान मृत्यु हो गई. वो 80 वर्ष के थे. हादसा श्रीलंका में घटित हुआ, जब वो मटारा से कोलंबो की यात्रा कर रहे थे. दुर्घटना में उनकी बेटी व पत्रकार कनुप्रिया और पोते की भी मौत हो गई है.

जानकारी के मुताबिक, उनकी ड्राइवर को गाड़ी चलाते समय नींद आ गई थी, जिससे उनका वाहन एक लॉरी से टकरा गया था. गोपाल प्रसाद विमल ने अपने साहित्यिक करियर में कई कविताएं, उपन्यास की रचना की. इनमें विमल जी की रचना बोधिवृक्ष और कुछ तो है काफी प्रसिद्ध हैं. कहानी संग्रहों में- कोई शुरुआत, अतीत में कुछ, चर्चित कहानियां और समग्र कहानियां काफी लोकप्रिय रहे. 2013 में प्रकाशित हुआ मानुसखोर उनका आखिरी उपन्यास रहा.

3 जून 1939 में उत्तरकाशी की गंगा घाटी में जन्मे डॉ. गंगा प्रसाद विमल हिन्दी साहित्य के अकहानी आंदोलन के जनक माने जाते हैं. गंगा प्रसाद एक साहित्यकार होने के साथ-साथ कवि, उपान्यासकार, कथाकार व अनुवादक भी रहे हैं. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल की थी. उन्होंने जवाहरालाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, पंजाब यूनिवर्सिटी और केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक के रूप में अनेक बड़ी जिम्मेदारियां निभाई थीं.

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इस अपूर्णनीय क्षति पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने गहरा शोक व्यक्त किया है.

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