Chardham Yatra 2022: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित
गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर को बंद होंगे, जबकि यमुनोत्री धाम के कपाट 27 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद किये जाएंगे. वहीं, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथियां भी घोषित हो गई है.
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित
By
Published : Oct 5, 2022, 5:14 PM IST
उत्तरकाशी: दशहरे के मौके पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की गई. इस साल गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर को अन्नकूट के अवसर पर बंद किए जाएंगे. विधिवत पूजा-अर्चना के साथ 12:01 मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद किये जाएंगे. यमुनोत्री धाम के कपाट भी 27 अक्टूबर को भैया दूज के पावन पर्व पर 12.9 मिनट पर बंद होंगे.
उत्तरकाशी में नवरात्रि के विजय दशमी के पर्व पर रावल तीर्थ पुरोहितों द्वारा गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित की. गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर को अन्नकूट पर्व पर दोपहर 12:01 मिनट पर शीतकालीन 6 माह के लिए बन्द किये जायेंगे. मां गंगा आगामी छह माह तक अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगी. उधर यमुनोत्री धाम के कपाट 27 अक्तूबर को भाई दूज के पावन पर्व पर 12 बजकर 09 मिनट पर सर्व सिद्धि योग, और अभिजीत मुहूर्त में बंद होंगे.
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित
बता दें कि 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ (Kedarnath Dham) के कपाट बंद होने की तिथि विजयदशमी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गयी है. इस बार भगवान केदारनाथ के कपाट 27 अक्टूबर (Kedanath doors will be closed on October 27) को भैयादूज पर्व पर तुला लगन में सुबह आठ बजे शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे. कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होगी. प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी. 29 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दींस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी.
वहीं, भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने की तिथि भी घोषित कर दी गई है. आगामी 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. मंदिर परिसर में ज्योतिष गणना के बाद भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा की गई. बदरीनाथ मंदिर परिसर में तीर्थपुरोहित, वेदपाठी, धर्माधिकारी ने ज्योतिष और पंचाग गणना के बाद तिथि घोषित की.