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मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए देव डोलियों के साथ उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला, पूजा कर की सुख-समृद्धि की कामना

makar sankranti 2024 उत्तरकाशी में मकर संक्रांति पर भागीरथी नदी के घाटों पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. सुबह से ही श्रद्धालुओं का गंगा घाटों पर आना शुरू हो गया था.श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 15, 2024, 8:42 AM IST

उत्तरकाशी:मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए देव डोलियों के साथ श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है. कड़ाके की ठंड पर आस्था भारी पड़ी और हजारों श्रद्धालुओं ने भागीरथी नदी में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया.दर्जनों देव डोलियों की मौजूदगी में ढोल-नगाड़ों की आवाज और मां गंगा के जयकारों से पूरी काशी नगरी गुंजायमान हो उठी. वहीं सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल मुस्तैद रही. वहीं श्रद्धालुओं के लिए ठंड से बचने के लिए अलाव की व्यवस्था भी की गई है.

देव डोलियों को कराया गया स्नान

उत्तरकाशी के पौराणिक मणिकर्णिका घाट, जडभरत, केदार घाट, लक्षेश्वर, शंकर मठ, नाकुरी, देवीधार, गंगोरी अस्सी गंगा तट सहित आदि स्नान घाटों पर तड़के चार बजे ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी. स्नान पर्व पर बाडाहाट क्षेत्र के आराध्य कंडार देवता, बाडागड्डी क्षेत्र के आराध्य हरिमहाराज, खंडद्धारी माता, कैलापीर, नाग देवता, घंडियाल देवता, बाल कंडार, नागणी देवी, रनाड़ी के कचडू देवता, डुंडा की रिंगाली देवी, सहित धनारी क्षेत्र नागराजा, त्रिपुरा माता, चंदणनाग, राजराजेश्वारी आदि दर्जनों देवी-देवताओं की डोलियां, ढोल, निशान आदि के साथ हजारों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचे और गंगा में आस्था की डुबकी लगाई.
पढ़ें-मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, पर्व का ये है खास महत्व

इसके बाद सभी देवता एवं श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ, चमाला की चौंरी, हनुमान मंदिर, कंडार देवता के मंदिरों के दर्शन किए और अपने गंतव्य को रवाना हुए. वहीं मकर संक्रांति के इस पर्व पर जिला प्रशासन व जिला पंचायत की ओर से घाटों पर प्रकाश एवं सफाई व्यवस्था की गई थी. पर्व को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस बल जगह-जगह तैनात रहा. ठंड से बचने के लिए घाटों और चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था की गई. जिससे श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

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