उत्तरकाशी: उत्तराखंड सरकार अब सीमांत क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने व पलायन को रोकने के लिए एक और प्रयास करने जा रही है. इसके लिए सूबे की सरकार ने योजना भी तैयार कर ली है. जिसे आगामी बजट सत्र में अमलीजामा पहनाया जाएगा.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि आगामी बजट सत्र में मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा. इस योजना के तहत खाली हो चुके सीमांत गांव दोबारा आबाद हो सकें और होमस्टे की योजना के साथ इन गांव में दोबारा बसने वाले लोगों को भी प्रदेश सरकार मदद करेगी. इसी क्रम में अब भारत-चीन युद्ध के बाद खाली हो चुके जाड़ समुदाय के नेलांग और जाडुंग गांव के भी आबाद होने की उम्मीद बढ़ी है.
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सीमांत जनपदों के कई गांव 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही खाली पड़े हैं. कई गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जिस वजह से यहां पलायन अपनी चरम सीमा पर है. यही कारण है कि यहां छह माह के प्रवास के बदले लोग अब स्थाई पलायन करने लगे हैं. गंभीर हो चुकी पलायन की इस समस्या को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार एक योजना की शुरुआत करने जा रही है.
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प्रदेश सरकार की ओर से राज्य के सीमांत जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ समेत अन्य जनपदों में आगामी बजट सत्र से मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की जाएगी. जिससे कि सीमांत क्षेत्र के गांव को पर्यटन और होम स्टे जैसी योजनाओं से जोड़कर पलायन को रोकने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही जिन सीमांत गांव की आबादी 150 या इससे अधिक होगी उन्हें राज्य योजना के तहत सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा. साथ ही इन गांव में होम स्टे योजना के तहत रियायत भी दी जाएगी.