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उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल आज, फूलों की खुशबू के होगी दूध मक्खन की होली

आज उत्तरकाशी में बटर फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सीएम पुष्कर सिंह धामी शामिल होंगे. स्थानीय स्तर पर इसे अढूंडी पर्व के नाम से जाना जाता है. इस उत्सव को मक्खन की होली खेल कर मनाया जाता है. जिसकी वजह से इसे बटर फेस्टिवल का नाम मिला.

Butter festival
उत्तरकाशी में बटर फेस्टिवल

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Published : Aug 16, 2022, 7:16 PM IST

Updated : Aug 17, 2022, 6:18 AM IST

उत्तरकाशी:17 अगस्त को बटर फेस्टिवल का आयोजन (Historic Butter Festival organized) किया जाएगा. रैथल गांव में ग्रामीण हर साल भाद्रपद की संक्रांति को प्रकृति का आभार जताने के लिए दयारा बुग्याल में दूध, मक्खन, मट्ठा की होली (Holi of Milk Butter Whey) का आयोजन करते हैं. स्थानीय स्तर पर अढूंडी पर्व के नाम से जाना जाने वाले इस उत्सव को इसकी अनूठी मक्खन की होली (Butter Holi) से बटर फेस्टिवल का नाम मिला.

पहले गोबर से खेली जाती थी होली:दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल (Dayara Tourism Festival Committee Raithal) के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि पहले इस अढूंड़ी को गाय के गोबर से भी खेलते थे, लेकिन अब इस अढूंडी उत्सव (adhundi festival) को पर्यटन से जोड़ने के लिए ग्रामीणों ने मक्खन और मट्ठा से होली खेलना शुरू किया है.

दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल कल

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बटर फेस्टिवल में शामिल होंगे सीएम: मनोज राणा ने कहा बुधवार को आयोजित होने वाले बटर फेस्टिवल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेंगे. साथ ही पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Tourism Minister Satpal Maharaj), गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान (Gangotri MLA Suresh Chauhan) भी पहुंचेंगे.

दयारा बुग्‍याल में अढूंड़ी उत्सव: जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 42 किलोमीटर की सड़क दूरी और भटवाड़ी ब्लॉक के रैथल गांव से 9 किलोमीटर पैदल दूरी पर स्थित 28 वर्ग किलोमीटर में फैले दयारा बुग्याल में सदियों से अढूंड़ी उत्सव मनाया जाता आ रहा है.

बता दें कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही रैथल समेत आसपास के गांवों के ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बुग्याली क्षेत्रों में स्थित अपनी छानियों में चले जाते हैं. पूरे गर्मी के मौसम में वह वहीं रहते हैं. वे अंढूड़ी उत्सव (बटर फेस्टिवल) मनाकर ही गांव लौटते हैं. लेकिन, लौटने से पहले वे प्रकृति का शुक्रिया अदा करने को इस मेले का आयोजन करते हैं.

Last Updated : Aug 17, 2022, 6:18 AM IST

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