उत्तरकाशीः 1991 के भूकम्प और उसके बाद 2012-13 की आपदा ने अस्सी गंगा घाटी पर इस कदर कहर बरपाया कि ग्रामीण आज तक इस कहर से उभर नहीं पाए हैं. घाटी के भंकोली सहित अगोड़ा और दासड़ा गांव लंबे समय से विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक शासन प्रशासन को इनका दर्द नहीं दिख सका है. जबकि विस्थापन को लेकर इन तीनों गांव का भू वैज्ञानिक सर्वे भी कर चुके हैं. अभी तक सर्वे की फ़ाइल कहां अटकी हुई है, इस सवाल का जवाब न तो ग्रामीणों को पता है और न ही प्रशासन को.
एक हल्की सी बरसात आज भी ग्रामीणों में भय की स्थिति पैदा कर देती है. ग्रामीणों का कहना है कि 1991 के भूकम्प के बाद अस्सी गंगा घाटी के भंकोली गांव के समीप उसी पहाड़ पर भूस्खलन शुरू हुआ जिस पर पूरा गांव बसा हुआ है. साथ ही इसका असर समीप के गांव अगोड़ा और दासड़ा पर भी देखने को मिला.
कुछ वर्ष प्रकृति चुप रही तो वर्ष 2012 और 13 की आपदा ने इस कदर कहर बरपाया कि गांव को जोड़ने वाले पैदल रास्ते भी ध्वस्त हो गए, जो आज भी खतरा बने हुए हैं. ऊपर से पत्थर आने का खतरा तो नीचे बड़ी खाई मुंह खोले खड़ी है.