उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

आराकोट आपदा के एक साल बाद भी पटरी पर नहीं लौटी व्यवस्थाएं, ग्रामीण मनाएंगे काला दिवस

आराकोट बंगाण क्षेत्र में आई आपदा को एक साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं लौट पाई है. यहां सेब सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन सड़कें खस्ताहाल होने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, अब बंगाण संघर्ष समिति से जुड़े लोगों ने उपेक्षा को लेकर काला दिवस मनाने का निर्णय लिया है.

arakot disaster
आराकोट आपदा

By

Published : Aug 9, 2020, 6:59 PM IST

पुरोलाः उत्तरकाशी के सीमांत मोरी ब्लॉक के आराकोट बंगाण क्षेत्र में आई आपदा को एक साल होने जा रहे हैं, लेकिन आज भी आपदा के जख्म हरे हैं. इतना ही नहीं आपदा ग्रस्त क्षेत्र में सड़क, पेयजल, दूर संचार सेवा अभी भी पटरी पर नहीं आ पाई है. जिस कारण करीब एक दर्जन से ज्यादा गांव के लोगों में भारी रोष है. बंगाण संघर्ष समिति ने शासन-प्रशासन पर महज आश्वासन देने का आरोप लगाया है. साथ ही क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर आगामी 18 अगस्त को काला दिवस मनाने का निर्णय लिया है. उनका कहना है कि सड़कें खस्ताहाल स्थिति में है. जिससे उन्हें सेब को मंडियों तक पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

आपदा के एक साल बाद भी पटरी पर नहीं लौटी व्यवस्थाएं.

गौर हो कि, बीते साल 18 अगस्त को आराकोट बंगाण क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही मची थी. जिसमें कई लोग काल में समा गए थे. चिंवा, टिकोची, आराकोट और सनैल कस्बों में भारी मात्रा में मलबा आ गया था. इस आपदा में कोठीगाड़ पट्टी के माकुड़ी, डगोली, बरनाली, मलाना, गोकुल, धारा, झोटाड़ी, किराणू, जागटा, चिंवा, मौंडा, ब्लावट आदि गांव में कृषि बागवानी तबाह हो गई थी. कास्तकारों की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि और सेब की फसल आपदा की भेंट चढ़ गई थी. कई मोटर मार्ग, पेयजल योजनाएं, पुल, अस्पताल, स्कूल आदि बह गए थे.

ये भी पढ़ेंःउत्तरकाशीः नीचे उफनती नदी, ऊपर टूटी बल्लियों पर लटकती 'जिंदगी'

इतना ही नहीं राहत और बचाव में लगा एक हेलीकॉप्टर भी हादसे का शिकार हो गया था. जिसमें पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, एक अन्य हेलीकॉप्टर को आपात लैंडिंग करनी पड़ी थी. जिससे वो भी क्षतिग्रस्त हो गई थी. हालांकि, इस आपात लैंड़िंग में कोई जनहानि नहीं हुई. वहीं, आपदा के चलते सेब की फसल तबाह हो गई थी. ग्रामीण सड़क मार्ग ध्वस्त होने से सेब को मंडियों तक समय पर नहीं पहुंचा पाए थे.

तत्कालीन जिलाधिकारी आशीष चौहान ने एक महीने तक आराकोट में कैंप कर युद्धस्तर पर क्षेत्र में कार्य कर वैकल्पिक व्यवस्था सुचारू की थी. इसके बाद क्षेत्र में कोई भी कार्य न होने पर पर ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है. बंगाण संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेंद्र नौटियाल ने बताया कि आपदा को एक साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन अभी भी व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं लौट पाई है. क्षेत्र में मोटर मार्गों के बुरे हाल है. अभी तक लिंक रोड़ तक नहीं खोले गए है. जिससे ग्रामीणों को सेब मंडियों तक पहुंचाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ेंःदेव क्यारा बुग्याल में दिखती है प्रकृति की अनमोल छटा, सरकार ने भी ट्रैक ऑफ द इयर से नवाजा

संघर्ष समिति के पदाधिकारी दो बार मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर चुके हैं. समिति की ओर से आपदा पीड़ितों को सहायता देने और कृषि ॠण माफ करने की मांग भी की जा रही है, लेकिन सरकार ने इन आपदा पीड़ितों को उपेक्षित रखा है. समिति का कहना है कि आगामी 18 अगस्त को काला दिवस मनाएगा. साथ ही चेतावनी दी है कि एक हफ्ते के भीतर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं की जाती है तो ग्रामीण जन आंदोलन करने को मजबूर होंगे. जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details