उत्तरकाशी:जनपद की हर्षिल और रवांई घाटी में सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन होता है. हर्षिल सहित रवांई घाटी में करीब 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. अबतक जनपद के सेब बागवान पुरानी पद्धति से ही सेब का उत्पादन करते थे लेकिन अब सेब उत्पादक इटली की रूट स्टॉक तकनीक से सेब का उत्पादन करेंगे. इसके लिए देश की दो मल्टीनेशनल कम्पनियों ने जिम्मा लिया है.
इन मल्टीनेशनल कम्पनियों ने रवांई घाटी में डेमोस्ट्रेशन के लिए एक यूनिट पौध पुरोला में लगा दी है. इस नई तकनीक से सेब बागवानों को सेब के अच्छे उत्पादन और आजीविका की उम्मीद बंध गई है. सेब बागवान भी इस तकनीक की ओर आकर्षित हो रहे हैं
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उत्तरकाशी के हर्षिल,मोरी,नौगांव,पुरोला में सेब का उत्पादन होता है. जहां पर एक सेब के पौध को बड़ा होने के लिए बागवानों को 8 से 10 साल की इंतजार करना पड़ता है. लेकिन अब देश की दो मल्टीनेशनल कम्पनियों की सहायता से बागवानों का ये इंतजार कम होने वाला है. ये कंपनियां इटली की रूट स्टॉक तकनीक से सेब की बागवानी करना सिखाएंगी. इसकी शुरुआत रवांई घाटी के पुरोला से हो चुकी है.