उत्तरकाशी:उत्तरकाशी जनपद मुख्यालयमें पहली बार रूटस्टॉक तकनीकि से 1,158 मीटर (3,799) फीट की ऊंचाई पर सेब उत्पादन का प्रयोग शुरू किया गया है. इस प्रयोग के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. तीन नाली जमीन पर लगाए गए 250 पेड़ों में से करीब 100 पेडों में 6 माह में सेब आ गए हैं.
बता दें, बाड़ाहाट निवासी काश्तकार अजय पुरी ने बताया 1,158 मीटर की ऊंचाई पर भागीरथी नदी के किनारे रूटस्टॉक तकनीक से विदेशी डार्क बेरोन, गाला और स्करलेट प्रजाति के 250 सेब के पेड़ मार्च में लगाए थे और जिनमें 6 माह के भीतर 100 पेडों पर सैंपल आए हैं. उन्होंने बताया कि डेढ़ साल के भीतर सेब का अच्छा उत्पादन शुरू हो जाएगा. उन्होंने लक्षेश्वर स्थित 3 नाली जमीन पर रूटस्टॉक प्रजाति के सेब का उत्पादन शुरू किया है. इसके लिए उन्होंने इंडो डच हॉर्टिकल्चर कंपनी की मदद ली है.
1,158 मीटर फीट की ऊंचाई पर सेब उत्पादन. अजय पुरी ने बताया कि सेब के सैंपल देखकर विशेषज्ञों ने भी खुशी जताई है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि भौगोलिक परिस्थितियों के चलते, जो सेब 5000 फीट से अधिक ऊंचाई पर ही दिखते थे, वह सेब अब जनपद मुख्यालय जैसे कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी देखने को मिलेंगे.
उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अभी इस तकनीक से 1,158 मीटर की ऊंचाई पर पहला प्रयोग है. अगर इसे जैविक रूप में किया जाए, तो यह और अधिक सफल हो सकता है. अभी इस बगीचे की 2 से 3 वर्ष विशेष निगरानी की आवश्यकता है. वहीं, डीएम मयूर दीक्षित ने भी उद्यान अधिकारियों के साथ बागीचे का निरीक्षण किया.
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जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रजनीश ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि जनपद मुख्यालय में इतनी कम ऊंचाई पर यह पहला प्रयोग है. अभी सैंपल की क्वालिटी भी सही है. साथ ही अभी 2 से 3 साल तक पेडों के देखरेख की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि अगर इस तकनीक के साथ जैविक रूप से सेब का उत्पादन किया जाए. तो यह अधिक सफल हो सकता है. साथ ही जनपद मुख्यालय में नदी के आसपास भूमि होना भी इतनी कम ऊंचाई पर सेब के उत्पादन में सहयोग कर सकता है, साथ ही अगर यह सफल होता है तो यह जिले में सेब के उत्पादन के लिए बहुआयामी होगा. रूटस्टॉक M9 तकनीक इंग्लैंड के रिसर्चर ने इजाद की है, जिसका प्रयोग में उच्च घनत्व वृक्षारोपण के लिए किया जाता है.