उत्तरकाशी:प्रदेश में उद्यानों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की योजनाओं की बात होती है, लेकिन आलम ये है कि सेब बागवानों को कीटनाशक दवाइयां तक नहीं मिल पा रही हैं. जिसके चलते पट्टी उपला टकनोर में सेब बागवानों को उत्पादन के नुकसान का खतरा सता रहा है. क्योंकि कीटनाशक दवाइयों के न मिलने से सेब के फूलों को थ्रिप्स जैसे कीट नुकसान पहुंचाते हैं, जोकि फल नहीं बनने देते. बागवानों का आरोप है कि जब वो विभाग से इसकी शिकायत करते हैं, तो विभाग सीमित संसाधनों का रोना रोता है.
उत्तरकाशी में हर्षिल घाटी को मिलाकर प्रति वर्ष 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. इस बार जमकर हुई बर्फबारी से सेब बागवानों को उम्मीद थी कि इस बार उत्पादन अच्छा होगा. सेब बागवानों का कहना है कि उद्यान विभाग की लापरवाही के कारण इस बार अप्रैल माह में सेब के पेड़ों पर डलने वाली कीटनाशक दवा डायथेन, बावस्टीन नहीं मिल रही है.