उत्तरकाशी: चीन सीमा के निकट भैरो-नेलांग घाटी के बीच में स्थित गरतांग गली को बीती 18 अगस्त को प्रशासन ने पुनर्निर्माण के बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया था, जिसके बाद लगातार हर दिन स्थानीय लोग और पर्यटक गरतांग गली के दीदार के उमड़ रहे हैं. वहीं, गरतांग गली के दोबारा आबाद होने के लिए स्थानीय लोगों और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों ने दिवंगत विधायक गोपाल रावत का धन्यवाद कर उन्हें याद किया.
गरतांग गली देखने पहुंच रहे पर्यटक:गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारियों के अनुसार गरतांग गली खुलने के बाद दो सप्ताह में करीब 350 से अधिक पर्यटक गरतांग गली का दीदार कर चुके हैं और पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप पंवार ने बताया कि 18 अगस्त से गरतांग गली के खुलने के बाद लगातार पर्यटक पहुंच रहे हैं. दो सप्ताह में 350 से अधिक पर्यटक गरतांग गली का दीदार कर चुके हैं.
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भारत-चीन युद्ध के बाद बंद किया गया था मार्ग:पंवार ने कहा कि गरतांग गली घूमने के लिए जिला प्रशासन के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. बता दें कि करीब 59 वर्ष बाद गरतांग गली एक बार फिर आबाद हो गई है. भारत-तिब्बत की गवाह खड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई करीब 150 मीटर लम्बी सीढ़ीनुमा रास्ते का निर्माण 17वीं शताब्दी में जाडुंग गांव के सेठ धनी राम ने कामगारों से तैयार कराया था, जो कि चट्टान को काटकर उस पर लोहे की रॉड गाड़कर व लकड़ी के फट्टे बिछाकर बनाई गई थी. फिर चलन से बाहर होने पर यह खस्ताहाल हो गई थी. भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह रही गली को 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सुरक्षा कारणों के चलते बंद कर दिया गया था.