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59 साल बाद खुली गरतांग गली हुई गुलजार, 350 पर्यटकों ने किया सबसे खतरनाक रास्ते का दीदार - trivendra singh rawat visited gartang gali

विश्व के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक उत्तरकाशी की गरतांग गली 59 साल बाद खुली है. यहां की रोमांचक यात्रा करने के लिए पर्यटक लगातार पहुंच रहे हैं. विश्व की सबसे अद्भुत गली के दीदार करने के लिए 350 से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं. ये गली 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने बनाई थी.

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गड़तांग गली

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Published : Sep 3, 2021, 10:08 AM IST

Updated : Sep 3, 2021, 2:16 PM IST

उत्तरकाशी: चीन सीमा के निकट भैरो-नेलांग घाटी के बीच में स्थित गरतांग गली को बीती 18 अगस्त को प्रशासन ने पुनर्निर्माण के बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया था, जिसके बाद लगातार हर दिन स्थानीय लोग और पर्यटक गरतांग गली के दीदार के उमड़ रहे हैं. वहीं, गरतांग गली के दोबारा आबाद होने के लिए स्थानीय लोगों और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों ने दिवंगत विधायक गोपाल रावत का धन्यवाद कर उन्हें याद किया.

गरतांग गली देखने पहुंच रहे पर्यटक:गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारियों के अनुसार गरतांग गली खुलने के बाद दो सप्ताह में करीब 350 से अधिक पर्यटक गरतांग गली का दीदार कर चुके हैं और पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप पंवार ने बताया कि 18 अगस्त से गरतांग गली के खुलने के बाद लगातार पर्यटक पहुंच रहे हैं. दो सप्ताह में 350 से अधिक पर्यटक गरतांग गली का दीदार कर चुके हैं.

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भारत-चीन युद्ध के बाद बंद किया गया था मार्ग:पंवार ने कहा कि गरतांग गली घूमने के लिए जिला प्रशासन के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. बता दें कि करीब 59 वर्ष बाद गरतांग गली एक बार फिर आबाद हो गई है. भारत-तिब्बत की गवाह खड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई करीब 150 मीटर लम्बी सीढ़ीनुमा रास्ते का निर्माण 17वीं शताब्दी में जाडुंग गांव के सेठ धनी राम ने कामगारों से तैयार कराया था, जो कि चट्टान को काटकर उस पर लोहे की रॉड गाड़कर व लकड़ी के फट्टे बिछाकर बनाई गई थी. फिर चलन से बाहर होने पर यह खस्ताहाल हो गई थी. भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह रही गली को 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सुरक्षा कारणों के चलते बंद कर दिया गया था.

गड़तांग गली में बढ़ी सैलानियों की आमद.

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उत्तराखंड सरकार ने कराया पुनर्निर्माण:हाल ही में लोक निर्माण विभाग ने करीब 65 लाख की लागत से इस गली का जीर्णोद्धार कराया है, जिसमें देवदार की लकड़ी से दोबारा सीढ़ीदार रास्ता तैयार किया गया है. गरतांग गली का फिर से खुलना उत्तरकाशी जनपद के पर्यटन के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रहा है. साथ ही स्थानीय लोगों ने इस प्रयास के लिए दिवंगत विधायक गोपाल रावत की भूमिका को याद कर धन्यवाद किया.

गरतांग गली का दीदार करने पहुंचे थे त्रिवेंद्र:गौर हो कि अभी कुछ दिन पहले (27 अगस्त) ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी गरतांग गली पहुंचे थे. उनका कहना था कि शीतकालीन पर्यटन की दृष्टि से यहां स्नो लेपर्ड पार्क व्यू भी स्थापित किया जा रहा है, जो लगभग आठ करोड़ की लागत से बनेगा. स्नो लेपर्ड पार्क व्यू आकर्षण का केंद्र बिंदु बनेगा और उससे पर्यटक तो बढ़ेंगे ही, साथ ही सैकड़ों स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा.

सामरिक दृष्टि से संवेदनशील है क्षेत्र:बता दें कि गरतांग गली जनपद मुख्यालय से करीब 90 किमी की दूरी पर स्थित है. जनपद मुख्यालय से लंका पुल तक करीब 88 किमी वाहन और उसके बाद 2 किमी का पैदल ट्रैक कर गरतांग गली पहुंचा जा सकता है. वहीं, गरतांग गली से जाड़ गंगा सहित नेलांग घाटी को जाने वाली बॉर्डर रोड और घाटियों का दीदार भी होता है. नेलांग घाटी सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है. उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है. सीमा पर भारत की सुमला, मंडी, नीला पानी, त्रिपानी, पीडीए और जादूंग अंतिम चौकियां हैं.

Last Updated : Sep 3, 2021, 2:16 PM IST

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