उत्तरकाशी: जमदग्नि ऋषि की तपस्थली ब्रह्मपुरी थान क्षेत्र के 12 गांवों के आराध्य समेश्वर देवता का तीन दिवसीय मेला हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मेले में डांगरी नृत्य और धनुष बाण नृत्य के दौरान क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली है. मेले में शामिल होने पहुंचे ग्रामीणों ने देव डोलियों के साथ नृत्य किया और उनकी पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगीं.
हर्षोल्लास के साथ मनाया गया आराध्य समेश्वर देवता का मेला, धनुष बाण नृत्य रहा आकर्षण का केंद्र
ब्रह्मपुरी थान गांव में 12 गांवों के आराध्य समेश्वर देवता का तीन दिवसीय मेला बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया है. इस मेले में डांगरी नृत्य और धनुष बाण नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहे.
बड़कोट तहसील मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर यमुनोत्री हाईवे से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित ब्रह्मपुरी थान गांव को भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि की तपस्थली माना जाता है. इस गांव में हर साल क्षेत्र के आराध्य समेश्वर देवता का भव्य मेला आयोजित किया जाता है. उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है, इसलिए यहां पर विभिन्न देवी- देवाताओं की पूजा-अर्चना की जाती है. यहां विभिन्न मेलों का भी आयोजन किया जाता है.
बचाण गांव के समेश्वर देवता के पश्वा अभिमन्यू प्रसाद को करीब सौ मीटर तक धारदार डांगरी(फरसों) के ऊपर नंगे पैर चलते देख लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो गए. मेले में शामिल होने पहुंचे सुकण गांव के ग्रामीणों ने गांव से एकत्र आटे से तैयार रोट(रोटी) पर धनुष बाण से निशाना साधकर क्षेत्र की समृद्ध परंपरा और संस्कृति का प्रदर्शन किया. इसके अलावा क्षेत्र के थान, नगाणगांव, स्यालब, सुकण, गौल, फूलधार, स्यालना, भंसाड़ी, पालर, मस्सू आदि गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने समेश्वर देवता की डोली के साथ नृत्य और पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगी.
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