काशीपुर: कुंडा के लालपुर गांव के रहने वाले एक युवा सत्यम शर्मा ने इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर वर्मी कंपोस्ट से खाद बनाने का काम शुरू किया है. सत्यम का कहना है कि आज के दौर में किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं, जो कि खेती के साथ ही स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. तभी उनके मन में जहर मुक्त खेती करने व अन्य किसानों को इसके लिए जागरूक करने का विचार आया. जिसके बाद उन्होंने वर्मी कंपोस्ट करने का काम शुरू किया. सत्यम शर्मा अपने इस काम को आगे बढ़ाकर अन्य लोगों को भी रोजगार देने की योजना बना रहे हैं.
सत्यम शर्मा ने देहरादून से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली की एक कंपनी में लगभग ढाई साल तीस हजार रुपये की नौकरी की, लेकिन वहां उन्हें कुछ अच्छा नहीं लगा. जिसके बाद वे नौकरी वापस आ गये. फिर सत्यम ने जसपुर की नादेही शुगर मिल में एईडीई पद पर तीन साल संविदा पर नौकरी की. यहां उन्होंने देखा कि क्षेत्र के किसानों द्वारा अपने खेतों की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से अत्याधिक मात्रा में कीटनाशकों, यूरिया व अन्य रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है. जिसके कारण उपजाऊ भूमि की संरचना एवं जीवाश्म में भारी गिरावट आ रही है, दिनों दिन जमीन की उर्वरता खत्म होती जा रही है.
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सत्यम बताते हैं ये सब देखने के बाद उनके मन में किसानों को जागरुक करने का विचार आया. तब उन्होंने इस पर अपनी रिसर्च शुरु की. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र काशीपुर की सलाह पर वर्मी कंपोस्ट करने का काम शुरु किया. वह इस कारोबार को आगे बढ़ाकर अन्य लोगों को रोजगार देने की योजना बना रहे हैं.
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सत्यम के मुताबिक, जहां युवक कोरोना संक्रमण काल में नौकरी तलाश रहे हैं वहीं उन्होंने नौकरी को छोड़कर स्वरोजगार करने का फैसला लिया. नौकरी छोड़कर उन्होंने गांव में ही कुछ पक्की ईटों से वर्मी पिट्स बनवायी. जिसमें गौवंश के गोबर तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थों आदि से उत्तम किस्मों के केंचुओं से खाद बनाना शुरू किया. उन्होंने इसके लिए सबसे पहले कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ.जितेंद्र क्वात्रा एवं डॉ.एसके शर्मा से संपर्क किया. उन्होंने इसे बनाने में तकनीकी के बारे में सत्यम को बताया. इसके बाद केंचुओं की विशेष प्रजातियां की उपलब्धता तथा इस क्षेत्र की व्यावसायिक जानकारी के लिए उनकी मुलाकात कोटद्वार के शिव प्रसाद डबराल एवं उनकी पत्नी डॉ. माधुरी डबराल से हुई.