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'अच्छे दिनों' के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने दिया था 5 लाख का चेक, इन महिलाओं को चवन्नी भी नहीं हुई नसीब

उत्तराखंड सरकार ने स्वरोजगार योजना के नाम पर तीन महीने पहले महिला सहायता समूह को 5 लाख रुपए का डेमो चेक दिया था, महिलाओं को लगा कि अच्छे दिन आएंगे, लेकिन इतना वक्त गुजरने के बाद भी इन महिलाओं को चवन्नी तक नसीब नहीं हो पाई

त्रिवेंद्र सरकार ने दिया था 5 लाख का चेक, इन महिलाओं को 'चवन्नी' भी नहीं हुई नसीब

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Published : May 4, 2019, 6:35 AM IST

रुद्रपुर:उत्तराखंड सरकार के सहकारित विभाग की ओर से 14 फरवरी को महिला सहायता समूह को 5 लाख रुपये का डेमो चेक देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम प्रस्तावित था, लेकिन पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. जिसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सहायता समूह को डेमो चेक देते हुए योजना का शुभारम्भ किया था. तीन माह गुजर जाने के बाद भी महिला सहायता समूह को अब तक भुगतान नही किया गया है. आलम ये है कि समूह की महिलाएं अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट-काट कर थक गई हैं, लेकिन उन्हें कोरे वादों के अलावा और कुछ नहीं मिलता. देखिए हमारी खास रिपोर्ट.


उत्तराखंड सरकार के सहकारिता विभाग ने महिला सहायता समूह को स्वरोजगार देने के लिए इसी साल 14 फरवरी को एक योजना शुरू की थी, इसमें महिला सहायता समूह को बिना ब्याज के 5 लाख रुपए का लोन उपलब्ध होगा. इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना था, लेकिन 14 फरवरी को ही पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके. ऐसे में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने दो महिला सहायता समूहों को 5 लाख रुपए का डेमो चेक वितरित किया.


अब यहां से सहायता समूह की इन महिलाओं के बुरे दिन शुरू हुए. सरकार डेमो चेक देकर अपनी पीठ थपथपाकर राजधानी लौट आई, लेकिन पैसा देगा कौन? इसका कोई इंतेजाम नहीं. गदरपुर में अल्पसंख्यक महिला समूह में शबनम समूह का चयन हुआ था. 14 फरवरी को शबनम समूह की 4 महिलाओं को कार्यक्रम में चेक लेने के लिए बुलाया गया था.

त्रिवेंद्र सरकार ने दिया था 5 लाख का चेक, इन महिलाओं को चवन्नी भी नहीं हुई नसीब


पीड़ित महिलाएं बताती हैं कि 14 फरवरी से अब तक समूह की महिलाएं जिला मुख्यालय रुद्रपुर से लेकर बैंक के कई चक्कर काट चुकी हैं. लेकिन समूह को मिलने वाले 5 लाख रुपए का लोन अभी तक नही मिल पाया है. समूह की सचिव निशा ने बताया कि वो पिछले कई महीनों से बैंक और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें लोन की धनराशि नही दी गयी है.


वहीं इस मामले में जब ईटीवी भारत ने जिला कॉपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक मनोहर सिंह भंडारी से जानकारी लेनी चाही, तो उनका अलग ही तर्क सामने आया. उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं था. आपके द्वारा पता लगा. इसलिए शाखा प्रबंधक को तत्काल समूह को ऋण उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिए गए हैं. जल्द ही महिला समूह के खाते में रकम को ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

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