रुद्रपुरःउधम सिंह नगर जिले में स्थित डैम से मिलने वाले पानी को लेकर किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. पिछले पचास सालों में आई सिल्ट ने डैम को भर दिया है. जिससे भविष्य में उत्तर प्रदेश में बाढ़ के हालात पैदा हो सकते हैं. डैम की पानी की क्षमता 40 से 45 फीसदी कम हो चुकी है. ऐसे में डैम की पानी की क्षमता लगातार घट रही है. अगर सिल्ट को हटाया नहीं गया तो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी नहीं मिल पाएगा.
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने सिंचाई और बाढ़ आपदा से निपटने के लिए उधम सिंह नगर जिले में 50 साल पहले 7 जलाशयों का निर्माण किया था. जिससे पहाड़ों में होने वाली बारिश के पानी को स्टोर कर तराई में बाढ़ और आपदा से निपटा जा सके. साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराया जा सके. उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद तीन डैमों का संचालन उत्तराखंड को सौंपा गया था. जिसमें बौर जलाशय, हरिपुरा जलाशय, तुमरिया और तुमारिया प्रसार जलाशय सिंचाई विभाग संचालित कर रहा है.
सभी जलाशयों में पहाड़ों के छोटे-छोटे नदी नाले जुड़े हैं. ऐसे में बरसातों के दौरान इन छोटे-छोटे नदी नालों का पानी जलाशय में रोका जाता है, ताकि तराई क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा ना हो सकें. इतना ही नहीं रुके हुए पानी से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों को सिंचाई के तौर पर समय-समय पर पानी भी दिया जाता है, लेकिन अब डैम की स्थिति सिंचाई विभाग को चिंता में डाले हुई है.
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दरअसल, तीनों डैम 50 साल की उम्र पार कर चुके हैं. 50 सालों में डैम में भरपूर मात्रा में सिल्ट जमा हो चुकी है. जिससे डैम की पानी की क्षमता 40 से 45 फीसदी घट चुकी है. सिंचाई विभाग को अब डर सताने लगा है कि ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में उत्तर प्रदेश में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाएंगे. साथ ही किसानों को सिंचाई का पानी भी मुहैया नहीं हो पाएगा.