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उत्तराखंडः विधि विधान के साथ जगह-जगह हुआ होलिका दहन, मांगी सुख समृद्धि की कामना - उत्तराखंड में होलिका दहन

उत्तराखंड में सोमवार को रंगों के त्योहार होली की शुरुआत हो चुकी है. अलग-अलग स्थानों पर पहले ही दिन होली की धूम देखने को मिली. साथ ही अनेक स्थानों पर वैदिक पद्धति से होलिका दहन हुआ.

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जगह-जगह हुआ होलिका दहन

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Published : Mar 10, 2020, 2:33 AM IST

Updated : Mar 10, 2020, 2:47 AM IST

गदरपुर/रामनगरःदेवभूमि में विधि-विधान से होलिका दहन हुआ. राज्य के सभी भागों में लोगों ने पारंपरिक रूप से होलिका का दहन किया. शाम से ही होलिका दहन की तैयारी कर ली गईं थी. जगह-जगह होली सजाई गईं थीं. लोगों ने विधिवत पूजा कर होलिका का दहन किया और एक दूसरे को होली की बधाई दी. इसके साथ ही रंगोत्सव की शुरुआत हो गई. लोगों ने जमकर गुलाल उड़ाया.

जगह-जगह हुआ होलिका दहन

गदरपुर में विभिन्न जगह लोगों ने विधिवत तरीके से पूजा अर्चना कर होलिका दहन किया. इस मौके पर सैकड़ों लोग मौजूद रहे. उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में विधिवत पूजन के बाद होलिका दहन हुआ. बाद में लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी. इस मौके पर लड्डू भी वितरित किए गए. वहीं रंगों के त्योहार होली की तैयारियां कई दिन पहले से हो जाती हैं लेकिन यह पर्व 2 दिन मनाया जाता है.

पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन रंग खेला जाता है. गदरपुर के अलग-अलग हिस्सों में विधिवत पूजन के बाद होलिका दहन किया गया. इससे पहले गोबर से बने उपलों से होली मनाई गई जिसके बाद विधिवत पूजन कर घरों में बने पकवानों का भोग लगाया गया और फिर शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया गया.

क्षेत्र में अग्रवाल समाज ने धूमधाम से होली का त्योहार मनाते हुए होलिका दहन किया इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे. इस दौरान चेयरमैन पति हिमांशु सरकार ने कहा कि अग्रवाल समाज की ओर से होलिका दहन का प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें सब आपस में खुशियां बांटी गई.

रामनगर में भी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होलिका दहन हुआ. रामनगर में 100 सालों से होली चौक पर होलिका दहन होता आ रहा है. रामनगर के होली चौक पर परंपरागत तरीके से100 सालों से ज्यादा समय से होलिका दहन किया जाता है.

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आज भी रामनगर में पूजन के बाद इसका दहन किया गया. साथ ही लोगों को पर्यावरण और प्रकृति की सुरक्षा का संदेश भी दिये गए. यहां होलिका दहन में एक अलग से परंपरा चली आ रही है. यहां होलिका में लकड़ी का उपयोग बिलकुल नहीं किया जाता. यहां गाय के गोबर से बने उपलों का इस्तेमाल किया जाता है. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यहां होलिका का दहन किया गया.

होली चौक पर सैकड़ों लोगों ने पहुंचकर गेहूं की बाली और गन्ना चढ़ाया. गन्ने को भूनकर और होलिका की राख लेकर लोग घरों में ले गए और पूजन किया गया. होली की राख ले जाकर लोग अच्छी फसल और सुख समृद्धि की कामना करते हैं. होलिका दहन में पंडितों ने पूजा-अर्चना कराई. सभी ने घर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की. घर घर में होली गीतों के साथ मंगल गीत गाए.

Last Updated : Mar 10, 2020, 2:47 AM IST

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