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उत्तराखंड के किसानों ने भी किया दिल्ली कूच, कांग्रेस ने की कृषि बिलों को रद्द करने की मांग

दिल्ली में चल रहे किसानों आंदोलन की उत्तराखंड तक पहुंच गई है. उत्तराखंड के किसान भी अब दिल्ली का रुख कर रहे हैं.

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किसानों का आंदोलन

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Published : Dec 5, 2020, 9:47 PM IST

देहरादून/उधम सिंह नगर/पिथौरागढ़: उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस ने शनिवार को विधिवत रूप से तीन कृषि बिलों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से इन कानूनों को तत्काल रद्द किए जाने को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की. उधर, देश का राजधानी में धरना दे रहे किसानों के समर्थन में उधम सिंह नगर जनपद से भी किसान दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं.

पार्टी मुख्यालय राजीव भवन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में वरिष्ठ नेताओं के साथ एक बैठक हुई. जिसमें प्रीतम सिंह की ओर से प्रस्ताव रखा गया कि केंद्र की मोदी सरकार से प्रदेश कांग्रेस कमेटी यह मांग करते हैं कि बिना विलंब किए कृषि क्षेत्र में सुधारों के नाम पर बनाए गए तीनों कानूनों को अविलंब रद्द किया जाए. इसके लिए संसद का विशेष सत्र आहूत करते हुए इन तीनों कानूनों को देश और किसानों के हित में रद्द किया जाए.

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने से फोन पर सहमति लेने के अलावा बैठक में मौजूद रहे वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कानूनों को रद्द किए जाने की मांग के प्रस्ताव को पारित किया. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि आज देश के किसान जिस प्रकार से केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए काले कानूनों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष कर रहा है. इसमें उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी भी अपना पूरा समर्थन करती है.

किसानों ने किया दिल्ली कूच

पूरे देश की निगाहें इस समय दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलनों पर टिकी है. देश का राजधानी में धरना दे रहे किसानों के समर्थन में उधम सिंह नगर जनपद से किसान भी दिल्ली के रवाना हो गए हैं. सितारगंज में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले दर्जनों किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार का पुतला फूंका. किसानों का कहना था कि केंद्र सरकार द्वारा जो तीन कृषि विधेयक लाए गए हैं. यह तीनों कृषि विधेयक किसान विरोधी हैं. इन विधेयकों के लागू होने से किसान अपनी जमीन का स्वामी खुद न होकर पूंजीपतियों का मजदूर बनकर रह जाएगा. दिल्ली में जो किसान लगातार धरना दे रहे हैं हम उनके समर्थन में आज यहां से दिल्ली रवाना हो रहे हैं और तब तक दिल्ली में डटे रहेंगे जब तक केंद्र सरकार तीनों काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती है.

पुलिस ने किसानों को रोका

दिल्ली के लिए निकले सैकड़ों किसानों को पुलिस ने हाईवे पर ताल आगरा गुरुद्वारा के पास ही रोक लिया. इस दौरान किसानों ने हाईवे के एक तरफ की लेन पर धरना शुरू कर दिया. पुलिस के भारी इंतजाम के कारण रोके जाने पर किसान वही धरने पर बैठ गए. किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता रणजीत सिंह राणा ने कहा कि ये तीनों बिल किसानों को उनकी ही जमीनों नौकर बना देगा. प्रधानमंत्री देश के बड़े व्यापारिक घरानों को लाभ पंहुचाकर किसानों से उनका हक छीनना चाहते हैं.

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कांग्रेसियों ने केंद्र सरकार का पुतला दहन किया

देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस किसान संगठन के कार्यकर्ताओं ने काशीपुर में केंद्र सरकार का पुतला दहन किया. इस दौरान कांग्रेसियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कांग्रेस महानगर कार्यालय में शनिवार को किसान कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव राजू छीना ने कहा कि उनकी केंद्र सरकार से मांग है कि एमएसपी का जल्द हल निकाला जाये. केंद्र सरकार के द्वारा लागू तीनों ही अध्यादेश किसानों के लायक नहीं है. लिहाजा तीनों ही अध्यादेशों को निरस्त किया जाए.

वहीं, पिथौरागढ़ में भी किसानों के आंदोलन के समर्थन में विभिन्न संगठनों ने धरना दिया. इन संगठनों की मांग है कि कृषि कानून में जो संसोधन केन्द्र की सरकार ने किए हैं, उन्हें खत्म किया जाए. साथ ही धरने पर बैठे संगठनों ने किसानों के हित में कानून बनाने की पैरवी की है. प्रदर्शनकारियों ने सरकार से विवादित कृषि बिल को वापस लेने की मांग की. विभिन्न संगठनों ने तीन नए कृषि बिलों को काला कानून बताते हुए कहा कि सरकार इसको लेकर जो दावे कर रही है वो पूरी तरह झूठ है.

जनमंच के संयोजक भगवान रावत ने कहा कि किसानों की जो मांगें है वो पूरी तरह जायज है. सरकार को लोकतांत्रिक ढंग से नए बिल पर किसानों के साथ वार्ता करनी चाहिए और एमएसपी को लेकर मौखिक आश्वासन के बजाए लिखित रूप से कृषि बिल में शामिल किया जाए. धरने पर बैठे जनसंगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों के बजाए पूंजीपतियों के हितों को ध्यान में रखते हुए ये बिल लायी है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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