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Published : Nov 18, 2021, 12:15 PM IST

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खेत में लावारिश मिले नवजात का प्रियांश रखा गया नाम, परवरिश के लिए आगे आए लोग

बीते दिन काशीपुर के ढकिया गुलाबो में एक नवजात खेत में पड़ा मिला था, जिसका नाम जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य द्वारा प्रियांश रखा है. वहीं नवजात की परवरिश के लिए 50 से अधिक परिवार अब तक सरकारी अस्पताल पहुंचे हैं.

Unclaimed newborn named Priyansh
लावारिश नवजात का प्रियांश रखा नाम

काशीपुर:ढकिया गुलाबो में बीते दिन खेत में मिले नवजात का नाम प्रियांश रखा गया है. वहीं नवजात की परवरिश के लिए 50 से अधिक परिवार अब तक सरकारी अस्पताल पहुंचे हैं. जिन्हें गोद लेने की पूरी प्रक्रिया से अवगत कराकर वापस भेज दिया गया.

बता दें कि, मंगलवार दोपहर ढकिया गुलाबो में प्रमोद कुमार के खेत में नवजात पड़ा मिला था. नवजात के मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ था. खेत मालिक प्रमोद कुमार ने नवजात को पुलिस की सहायता से एलडी भट्ट सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था. यहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव पुनेठा की देखरेख में नवजात का इलाज चल रहा है. देर शाम जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य अमित श्रीवास्तव सरकारी अस्पताल पहुंचे. उन्होंने डॉक्टरों से बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी ली और बच्चे को दो दिन और अस्पताल में रखने की बात कही.

इस दौरान उन्होंने बच्चे का नामकरण कर उसका नाम प्रियांश रखा है. दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल में प्रियांश की परवरिश के लिए परिवार पहुंच रहे हैं और और गोद लेने की इच्छा जताई है. बता दें कि, अभी तक 50 से अधिक परिवारों को गोद लेने की प्रक्रिया बताते हुए वापस भेज दिया गया है.

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सीएमएस डॉ. पीके सिन्हा ने बताया कि बच्चा अब स्वस्थ्य है और डॉक्टर व नर्सों की देखरेख में है. महिला सशक्तिकरण के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता अलका पाल ने भी एलडी भट्ट अस्पताल पहुंचकर नवजात शिशु के बारे में जानकारी ली. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से नवजात शिशु के लालन-पालन एवं भविष्य के लिए ठोस प्रयास करने का आह्वान किया.

साथ ही अस्पताल की नर्स और संबंधित स्टाफ का आभार जताते हुए कहा कि स्टाफ की वजह से ही एक नवजात की जिंदगी बच गई. उन्होंने कहा कि बच्चे की देखभाल के लिए समाजिक क्षेत्र में सक्रिय लोगों को भी आगे आना चाहिए. अमित श्रीवास्तव के मुताबिक अभी बच्चे को दो दिन और अस्पताल में ही रखा जाएगा. दो दिन बाद उसे दो महीने के लिए बाल शिशु गृह देहरादून या अल्मोड़ा भेजा जाएगा. उसके बाद ही गोद लेने की प्रक्रिया की जाएगी.

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