22 लड़कियों को कैद रखने वाला अवैध मदरसा संचालक गिरफ्तार, कश्मीर से लौटते ही पुलिस ने दबोचा, फंडिंग का लगाया जा रहा है पता
Illegal Madrasa Case in Rudrapur उधमसिंह नगर पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने पुलभट्टा थाना क्षेत्र में चल रहे अवैध मदरसे के संचालक को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में संचालक की पत्नी को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. आरोपियों के अवैध मरदसे से पुलिस ने 24 बच्चों को रेस्क्यू किया था, जिनका वहां पर उत्पीड़न किया जा रहा था. इन बच्चों में 22 बच्चियां थीं.
रुद्रपुर:उधमसिंह नगर जिले के पुलभट्टा थाना क्षेत्र में पुलिस ने बीते दिनों अवैध मदरसे का खुलासा किया है. पुलिस के इस खुलासे के बाद से ही मदरसा संचालक इरशाद फरार चल रहा था, जिसकी तलाश में बीते तीन दिनों से पुलिस लगी हुई थी, जो आज 18 अक्टूबर को पुलिस की गिरफ्त में आया.
उधमसिंह नगर एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने इस पूरे मामले की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले पुलभट्टा थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 18 चार बीघा सिरौलीकला इलाके में पुलिस को अवैध मदरसे की जानकारी मिली थी. इसके बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और अवैध मदरसे का पर्दाफाश किया था. इस दौरान पुलिस ने वहां से कुल 24 बच्चों का रेस्क्यू किया था, जिसमें से 22 लड़कियां थीं. इनकी उम्र चार से 16 साल के बीच थी.
वहीं, अवैध मदरसे का पर्दाफाश होने के बाद से ही आरोपी खातून बेगम का पति इरशाद फरार चल रहा था. तीन दिनों से पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी. पुलिस ने फरार आरोपी इरशाद का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा रखा था. उसकी लोकेशन पुलिस को कश्मीर में मिली. इस दौरान आरोपी कश्मीर से सिरौलीकला पहुंचा, जहां पुलिस ने आज 18 अक्टूबर को उसे धर लिया.
पूछताछ में आरोपी इरशाद ने बताया कि वह फंडिंग के लिए पूरे देश में जाता रहता है. हालांकि, पुलिस अभी भी अपने स्तर पर पूरे मामले की गहनता से जांच में जुटी हुई है. बता दें कि पुलिस ने अवैध मदरसे में से 22 बच्चियों समेत 24 बच्चों को रेस्क्यू किया था. पूछताछ में बच्चों ने बताया था कि आरोपी संचालक और संचालिका उनसे घरेलू काम कराते थे. साथ ही उनका उत्पीड़न भी करते थे. एसएसपी ने बताया कि अवैध मदरसे के मुख्य संचालक को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी को मिलने वाली फंडिंग के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है. पुलिस ने बाल कल्याण समिति की टीम को बुलाकर बच्चों की काउंसलिंग करवाई थी और फिर बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया था.