खटीमाः पुलवामा आंतकी हमले को एक साल पूरे हो गए हैं. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. जिनमें से एक खटीमा के मोहम्मदपुर भुडिया गांव के वीरेंद्र सिंह राणा भी शामिल थे. जो देश के लिए अमर हो गए. पुलवामा की पहली बरसी पर सीआरपीएफ के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने शहीद वीरेंद्र सिंह के घर पहुंचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. वहीं, शहीद के भाई ने एक साल बाद भी पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को शहीद का दर्जा ना दिए जाने पर दु:ख भी जताया.
आज से ठीक एक साल पहले यानी 14 फरवरी 2019 को खटीमा के मोहम्मदपुर भुडिया गांव के दीवान सिंह राणा के घर उस वक्त कोहराम मच गया था, जब उन्हें सूचना मिली कि सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन में तैनात उनका सबसे छोटा बेटा वीरेंद्र सिंह राणा पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गया है. इस आंतकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे. जिसमें खटीमा के वीरेंद्र सिंह राणा भी शहीद शामिल थे.
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देश के लिए शहादत देने का गर्व और हमेशा के लिए वीरेंद्र सिंह को खोने के गम को गुजरे एक साल का वक्त हो गया है, लेकिन देश के लिए शहीद होने वाले वीरेंद्र सिंह राणा के परिजन जहां अपने बेटे की शहादत पर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं तो वहीं, अर्धसैनिक बलों के सैनिकों को शहीद का दर्जा ना दिए जाने से आहत भी नजर आ रहे हैं.