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फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख से बनेगी टाइल्स, वैज्ञानिकों और पीएचडी छात्रा को मिली सफलता

फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख (ash from factories) से टाइल्स बनाने में बड़ी कामयाबी मिली है. यह कर दिखाया है पंतनगर के प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (Technological University of Pantnagar) स्थित विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों और शोधकर्ता छात्रा की एक टीम ने. जिन्होंने राख में रासायनिक पदार्थ मिलाकर टाइल्स तैयार की है.

Rudrapur
फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख से बनेगी टाइल्स

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Published : Apr 20, 2022, 11:32 AM IST

Updated : Apr 20, 2022, 12:16 PM IST

रुद्रपुर:फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख (ash from factories) का अब उपयोग हो सकेगा. पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय (Pantnagar Agricultural University) के प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थित विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के रसायन विभाग के वैज्ञानिक टीम ने खास तकनीक हासिल की है. एक पीएचडी की छात्रा ने फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख में रासायनिक पदार्थों मिलाकर टाइल्स बनाई है. ऐसे में अब वैज्ञानिकों की टीम इसे पेटेंट कराने की तैयारी में जुटी हुई है.

बाजार के टाइल्स से होंगी मजबूत:सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही फैक्ट्रियों से निकलने वाले राख की बाजारों में टाइल्स दिखाई दे सकती हैं. दरअसल, कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (Technological University of Pantnagar) स्थित विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों और शोधकर्ता छात्रा की एक टीम ने इस राख में रासायनिक पदार्थ के मिश्रण से टाइल्स तैयार की है. भविष्य में इस टेक्नोलॉजी के मध्यम से फैक्ट्रियों से निकलने वाले राख का निस्तारण किया जा सकता है. यह टाइल बाजार में उपलब्ध सिलिकेट से बनी टाइल्स की अपेक्षा में 75 प्रतिशत तक सस्ती और उनसे मजबूत होंगी.

फैक्ट्रियों से निकलने वाली राख से बनेगी टाइल्स.

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किसी भी रंग में ढाली जा सकती है टाइल्स:रसायन विज्ञान के प्राध्यापक डाॅ. एमजीएच जैदी, सहायक प्राध्यापक डाॅ. समीना महताब व शोधार्थी मीनाक्षी पांडे ने बताया कि अब तक बाजारों में टाइल्स का निर्माण एल्यूमिनियम, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम व जिप्सम आदि धातुओं के सिलिकेट से किया जाता रहा है. जिसमें टाइल्स बनाने की लागत कई गुना बढ़ जाती है. जिस कारण टाइल्स के दाम भी ऊंचे होते हैं. लेकिन राख से निर्मित टाइल्स की कीमत बहुत कम होगी. उन्होंने बताया की टाइल्स के ऊपर आसानी से ग्लेजिंग कर किसी भी रंग में ढाला जा सकता है. साथ ही यह बाजारों में आने वाली टाइल्स की अपेक्षा में मजबूत भी हैं.

निस्तारण में होगी आसानी:फैक्ट्री के साथ-साथ लोगों की जिंदगी में जहर घोलने का काम कर रही राख का अब तक कई तरह से निस्तारण किया जाता रहा है. ऐसे में राख को सीमेंट, ईंट और खेतों में मिला दिया जाता था लेकिन इसके सही से निस्तारण नहीं हो पाता था. लिहाजा, अब टाइल्स बनाने में 98 फीसदी राख व रासायनिक पदार्थ का प्रयोग किया गया है. जिसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है.

Last Updated : Apr 20, 2022, 12:16 PM IST

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