खटीमा: इकोसिस्टम के लिए खतरा बनी थाई मांगुर मछली पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा रखा है. सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद मत्स्य विभाग ने थाई मांगुर मछली के पालन पर गाइडलाइन जारी कर दी है. जिलाधिकारी ने मत्स्य विभाग के नेतृत्व में टीम गठित कर फैसला लिया है थाई मांगुर मछली पालकों के खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा. साथ ही जुर्माना भी वसूला जाएगा.
थाई मांगुर मछली के बीज किए जाएंगे नष्ट. पहले थाई मांगुर पालकों को नोटिस दिया जाएगा. इसके बाद भी अगर मत्स्य पालक थाई मांगुर मछली पालते हैं तो उनपर सख्त कार्रवाई होगी. इसके तहत डीएम द्वारा गठित टीम तालाब जाकर सभी मांगुर मछलियों को नष्ट करेगी. इस दौरान जो भी खर्चा विभाग को आएगा वो मत्स्य पालक से वसूला जायेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मत्स्य प्रजाति की थाई मांगुर मछली के विनिष्टीकरण के आदेश मत्स्य विभाग को दिए हैं. इस आदेश के बाद तालाबों में थाई मांगुर मछली पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
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मत्स्य विभाग के इंस्पेक्टर अमित कुशवाहा ने बताया कि उत्तराखंड में दो प्रकार की मांगुर मछली पाली जाती हैं. पहली थाई मांगुर मछली, दूसरी देसी मांगुर मछली. थाई मांगुर मछली को भोजन के रूप में वेस्टेज प्रोडक्ट खिलाए जाते हैं, जिससे यह मछली खाने वाले बीमारी हो सकते हैं. साथ ही थाई मांगुर मछली अन्य मछलियों में भी बीमारी फैलाने का काम करती है.
नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार थाई मांगुर मछली जल तंत्र और पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) के लिए भी खतरा है. इसलिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने थाई मांगूर मछली की प्रजाति के पालन और प्रजनन को प्रतिबंधित करते हुए विनिष्टिकरण के आदेश दिए हैं. डीएम को मत्स्य विभाग की एक टास्क फोर्स गठित करने को भी कहा गया है, तालाबों में थाई मांगुर के पालन और प्रजनन को नष्ट किया जाए.