उधम सिंह नगर:वैज्ञानिकों ने मेंथा की नई प्रजाति विकसित की है. केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिकों ने पांच वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद ये सफलता हाथ लगी है. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस नई प्रजाति की फसल से किसान 30 से 40 फीसदी तक से अधिक उत्पादन कर सकते हैं. जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा और उनकी आर्थिकी भी मजबूत होगी.
वैज्ञानिकों ने विकसित की नई प्रजाति. केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान यानी कि (सीमैप) के वैज्ञानिकों की टीम ने मेंथा (मेंथा अर्वेन्सिस एल) की नई प्रजाति विकसित की है, जिसकी लॉन्चिंग भी 31 जनवरी को कर दी गई है, जिसके बाद संस्थान इस प्रजाति के बीज को किसानों तक पहुंचाने की तैयारी कर रहा है. बताया जा रहा है कि 7 फरवरी को संस्थान आयोजित होने वाले किसान मेले में इस नई प्रजाति के बीज को किसानों को नि:शुल्क देगा.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्नति की फसल लगभग 4 महीने के अंदर तैयार हो जाएगी. उन्होंने बताया कि इसमें 1.0 प्रतिशत तक सुगंधित तेल मौजूद है, जो कि मेंथा की अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 30-40 प्रतिशत अधिक है. इस प्रजाति के सुगंधित तेल में मेंथॉल की मात्रा करीब 74-75 प्रतिशत तक पाई जाती है, जिससे किसान एक हेक्टेयर खेत में इसका उत्पादन कर करीब डेढ़ लाख रुपए तक की आमदनी कर सकते हैं.
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वहीं, सीमैप के वैज्ञानिक राकेश उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि इस नई प्रजाति की मेंथा को तैयार करने में लगभग 5 साल का समय लगा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 1 हेक्टेयर में किसान अन्य मेंथा की फसल के मुकाबले नई मेंथा की फसल से करीब 30 से 40 फीसदी अधिक तेल उत्पादन कर सकते हैं जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड है और इसकी खेती से किसानों की आय निश्चित ही बढ़ेगी.