काशीपुरःदीपावली का त्योहार नजदीक है. बाजारों में रौनक है. लेकिन इस बीच एक तबका ऐसा भी है, जिसे इस पर्व पर उम्मीद थी कि उनकी बिक्री खूब होगी. लेकिन अभी तक उन्हें मायूसी ही मिल रही है. हम बात कर रहे हैं मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों की. इनका कारोबार न के बराबर चल रहा है. जिसने इनकी परेशानियां बढ़ा दी है. इनका कारोबार पूरी तरह चौपट होने के कगार पर है.
दीपावली को लेकर हर वर्ग खासा उत्साहित रहता है. इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी शामिल हैं और व्यापारी से लेकर कारीगर वर्ग भी. इस त्योहार की सबसे बड़ी खासियत है सजावट. इसमें दीये से लेकर रंग-बिरंगी लाइटिंग हैं. हमारे देश में दीपावली पर मिट्टी के दीये बनाने का पुराना प्रचलन है. इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों वर्गों के कारीगर शामिल हैं. इनके हाथ से बनाए दीये लोगों के घरों को जगमगाते हैं. लेकिन लोगों को घरों को रोशन करने वाले इन कारीगरों पर तंगी का अंधेरा छा रहा है.
कोरोनाकाल में पहले ही आर्थिक तंगी झेल रहे इन कारीगरों को उम्मीद थी कि दीपावली पर इनकी अच्छी खरीददारी होगी तो घर का चूल्हा जलेगा. लेकिन, अभी तक की बिक्री से ये उम्मीद भी ओझल नजर आ रही है. इसकी बानगी काशीपुर में दीये बनाने वाले सत्तर साल के बुजुर्ग एवज हुसैन और उनकी पत्नी सगीरन से ज्यादा और कौन जानेगा?