काशीपुर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम उन महिलाओं की बात कर रहे हैं, जो न सिर्फ अपने हक के लिए समाज से लड़ीं, बल्कि उनकी इस लड़ाई ने कई कुप्रथाओं को समाप्त करने के साथ ही लाखों महिलाओं के लिए इंसाफ के दरवाजे भी खोले. ऐसी ही एक महिला हैं उत्तराखंड के काशीपुर रहने वाली सायरा बानो. जिन्होंने आज से कई साल पहले तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाई. उनकी ये लड़ाई रंग लाई और कई महिलाओं के लिए इंसाफ का दरवाजा खुला.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सायरा बानो की कहानी. महिला सशक्तिकरण के लिए तीन तलाक को चुनौती देने वाली सायरा बानो आज उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं. ऊधमसिंह नगर के काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो वहीं महिला हैं, जिन्होंने इस मुद्दे पर बड़ी कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार जीत हासिल की. वह इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता थीं.
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काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो की शादी 2001 में हुई थी. 10 अक्टूबर 2015 को उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया था. सायरा ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा था कि तीन तलाक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इसके बाद उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक असंवैधानिक घोषित किया.
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन तलाक के खिलाफ कानून की नींव सायरा बानो के याचिका डालने के बाद ही पड़ी थी. सायरा बानो ने तीन तलाक खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद उसपर तीखी बहस चली. अदालत के रास्ते ये एक कानून बन गया. केंद्र सरकार के कानून के मुताबिक, अब किसी महिला को बोलकर तीन तलाक नहीं दिया जा सकता है वो मान्य नहीं होगा. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भी हो सकती है.
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सायरा बानो ने पहले सभी महिलाओं को बधाई दी. साथ ही उन्होंने कहा कि सबसे पहले महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जानना चाहिए. महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए सामने आना चाहिए. राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष होने के नाते उनका यही उद्देश्य रहेगा कि वे महिला उत्थान के लिए कार्य करें.