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दीपावाली पर वायु प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, 25 से 35 फीसदी तक हुई वृद्धि

सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों को ताक पर रखकर काशीपुर में दिवाली की रात जमकर आतिशबाजी हुई. काशीपुर समेत पूरे इलाके में इसका असर देखने को मिल रहा है.

काशीपुर प्रदूषण

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Published : Oct 28, 2019, 9:05 PM IST

काशीपुर:सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बावजूद लोगों ने दीपावली पर जमकर आतिशबाजी की. इसमें अधिक बारुदी क्षमता के विस्फोटक पटाखों का भी खुलकर प्रयोग हुआ. इस साल ध्वनि व धूल कणों से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक रहा. धूलकणों में रुद्रपुर में 25 और काशीपुर में 31 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि ध्वनि प्रदूषण पिछले वर्ष की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत अधिक रहा.

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी अनुराग नेगी ने बताया कि इस बार रुद्रपुर में धूल के कणों का घनत्व 25 प्रतिशत अधिक रहा. यह 203.05 आरएसपीएम माइक्रोग्राम पर नॉर्मल मीटर क्यूब से बढ़कर 255 आंका गया. वहीं, काशीपुर के धूल कणों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई.

वर्ष 2017 में यह 114.36 आरएसपीएम माइक्रोग्राम पर नॉर्मल मीटर क्यूब था. जो वर्ष 2018 में 212 .68 आरएसपीएम माइक्रोग्राम पर नॉर्मल मीटर क्यूब दर्ज किया गया. इस वर्ष यह 279.04 यानि वर्ष 2018 की तुलना में 31 प्रतिशत बढ़ गया. यह स्थिति दोपहर दो बजे से रात दस बजे तक दर्ज की गई.

दीपावली पर रुद्रपुर व काशीपुर में ध्वनि का अनुश्रवण किया गया. रुद्रपुर के आवासीय क्षेत्र में पिछले वर्ष 85.50 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण आंका गया, जबकि इस बार यह घटकर 78.60 रह गया. मानक के अनुसार इसे 45 डेसिबल होना चाहिए.

संवेदनशील क्षेत्रों में 40 डेसिबल के मुकाबले पिछले वर्ष ध्वनि का स्तर 46.5 डेसिबल मापा गया. जबकि इस बार यह बढ़कर 70.93 हो गया. वाणिज्यिक क्षेत्र जहां ध्वनि का स्तर 55 डेसिबल होना चाहिए, वहां पिछले वर्ष दिवाली के दिन यह 85 डेसिबल पाया गया. जबकि इस वर्ष 84.02 डेसिबल पाया गया. काशीपुर में 27 अक्टूबर को शाम छह बजे से रात्रि दस बजे तक ध्वनि अनुश्रवण के आंकड़े एकत्र किए गए.

पढ़ें- पटाखों से धुआं-धुआं राजधानी, खतरनाक लेवल पर पहुंचा प्रदूषण

आवासीय क्षेत्र में पिछले वर्ष ध्वनि का स्तर 72.07 डेसिबल रहा, जबकि वर्ष 2017 में यह 62.2 तक था, जबकि इस वर्ष यह बढ़कर 89.99 डेसिबल हो गया. मानक के मुताबिक इसे 45 डेसिबल होना चाहिए. संवेदनशील क्षेत्रों में यह साल 2017 में 52.36 से बढ़कर वर्ष 2018 में 54.15 डेसिबल पहुंचा. जो बढ़कर इस साल 63. 37 डेसिबल पहुंच गया. वाणिज्यिक क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण वर्ष 2017 में 74.58 डेसिबल से बढ़कर वर्ष 2018 में 80.23 डेसिबल तक हो गया, जो इस बार बढ़कर 83 डेसिबल हो गया. जबकि मानक के अनुसार यह क्रमश: 40 और 55 था.

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