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स्टार्टअप कंपनी और पंतनगर विश्वविद्यालय के बीच हुआ एमओयू साइन, युवाओं को मिलेगा रोजगार - MoU signed between startup company and Pantnagar University

विलुप्ति होने के कगार पर पहुंचे घराटों को पुनर्जीवित करने के लिए अब स्टार्टअप कंपनी की तरफ से पंतनगर विश्वविद्यालय के बीच एमओयू साइन किया गया है.

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पंतनगर विश्वविद्यालय के बीच हुआ MoU साइन

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Published : Jan 2, 2021, 6:37 PM IST

Updated : Jan 2, 2021, 7:42 PM IST

देहरादून : पहाड़ों से विलुप्त होते घराटों को पुनर्जीवित कर लोगों तक पोषक तत्वों युक्त खाद्य पदार्थो ओर स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा स्टार्टअप कंपनी से एमओयू साइन किया है. जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा फूड प्रोसेसिंग संबंधित जानकारियां कंपनी को मुहैया कराई जाएगी. जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ- साथ विश्वविद्यालय को भी इसका फायदा मिलेगा. पहले चरण में पहाड़ी क्षेत्रों में कंपनी दो यूनिट से 10 यूनिट तक घराट लगाने जा रहा है. यही नहीं पांच सालों में 100 यूनिट स्थापित करने की रूप रेखा तैयार की गई है.

युवाओं को मिलेगा रोजगार.
पहाड़ों से विलुप्त होती घराट यानी कि पनचक्की संस्कृति को पुनर्जीवित करने और लोगों को विटामिन युक्त खाद्य पदार्थो को मुहैया करने के लिए आज पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से स्टार्टअप कंपनी केवी सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के बीच एमओयू साइन किया है. जिसमें पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के फूड डिपार्टमेंट द्वारा कंपनी को फूड क्वालिटी से संबंधित सभी तरह की जानकारी और टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारियां दी जाएंगी. वहीं, घराट से बनने वाले खाद्य पदार्थ गेंहू, मक्का, चने के आटा तैयार किये जा रहा ह. कंपनी द्वारा पहले चरण में दो यूनिट लगाई गई हैं.

कंपनी के डारेक्टर एनके भट्ट ने बताया कि अमूमन इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से तैयार आटे के पोषक तत्व ज्यादा गर्म होने से खत्म हो जाते हैं. घराट से उत्पन्न आटे को 18 डिग्री तापमान में तैयार किया जाता है. जिसमे गेंहू में मौजूद पोषक तत्व जस के तस बने हुए रहते हैं.

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उन्होंने बताया कि आने वाले पांच साल में वह घराट के 100 यूनिट उत्तराखंड में लगाने जा रहे है. इन यूनिटों में पहाड़ के 15 सौ लोगों रोजगार मुहैया कराया जाएगा. जिससे पहाड़ तरफ शहरी इलाकों में रहने वाले लोगो पोषण युक्त खाद्य सामग्री मिल सके.

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति तेज प्रताप ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में विश्वविद्यालय का अहम रोल है. घराट से उत्पन्न खाद्य पदार्थों में कैसे पोषक तत्वों का समावेश किया जाए. इसके लिए फूड डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक एवेलेबल रहेंगे. विश्वविद्यालय के इतिहास में यह पहला एमओयू है. जिससे विश्वविद्यालय की आमदनी भी बढ़ेगी.

Last Updated : Jan 2, 2021, 7:42 PM IST

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