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नजूल भूमि मामला: SC के फैसले का MLA ठुकराल ने किया स्वागत, कहा- सरकार के पाले में आई गेंद

आखिरकार उत्तराखंड के नजूल भूमि मामले (Uttarakhand Nazul land case) में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट से खारिज नजूल नीति पर स्टे लगा दिया है. जिस पर रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल (MLA Rajkumar Thukral) ने खुशी जताई है. उनका कहना है कि अब गेंद सरकार के पाले में आई है.

rajkumar thukral welcomes supreme court decision on nazul land
राजकुमार ठुकराल नजूल भूमि पर फैसले का स्वागत

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Published : Dec 3, 2021, 6:44 PM IST

रुद्रपुरःउत्तराखंड नजूल भूमि केस (Uttarakhand Nazul land case) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है. इस फैसले से प्रदेश के लाखों लोगों को राहत मिली है. रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि अब गेंद राज्य सरकार के पाले में है. आदेश की कॉपी आते ही सरकार नजूल पर लोगों को मालिकाना हक (people get ownership of nazul land) देगी.

बता दें कि उत्तराखंड में नजूल भूमि को निरस्त करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण रूप से रोक लगा दी है. जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर पूर्ण रूप से रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के उन लाखों लोगों को राहत मिली है, जो नजूल भूमि पर बसे हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत क्षेत्रीय विधायक राजकुमार ठुकराल (rajkumar thukral welcomes supreme court decision on nazul land) ने भी किया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला देते हुए सालों से नजूल पर बैठे लोगों (lease holder of nazul land) को राहत दी है.

नजूल भूमि पर फैसले का विधायक ठुकराल ने किया स्वागत.

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विधायक ठुकराल ने कहा कि 19 जून 2018 में जो नजूल नीति (Nazul policy) को हाईकोर्ट (Nainital Highcourt) ने खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उस नजूल नीति में स्टे लगा दिया है. अब गेंद राज्य सरकार के पाले में है. मुख्यमंत्री ने पूर्व में ही कहा था कि नजूल पर जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश राज्य सरकार को प्राप्त होगा. उस पर नीति बना कर लोगो को मालिकाना हक दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि जब हाईकोर्ट ने नजूल नीति को खारिज (Nainital High Court rejects Nazul policy) कर दिया था तो वो 22 बार सरकार के पास गए थे. जिसके बाद सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर की गई थी. जिसके आधार पर स्टे हुआ है, लेकिन नजूल नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी टिप्पणी नहीं की. आज सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से खारिज नजूल नीति पर स्टे लगा दिया है. साथ ही कहा कि इसी मुद्दे पर चुनाव लड़कर जीत हासिल करेंगे.

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ये है पूरा मामलाःदरअसल साल 2009 में उत्तराखंड सरकार नजूल नीति लेकर आई. इसके तहत सरकार ने लीज और कब्जे की भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया शुरू की थी. हालांकि, इस आदेश को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने 2018 में नजूल नीति को गलत करार देते हुए निरस्त कर दिया. साथ ही कहा कि जिन लोगों के हकों में फ्री होल्ड इस नीति के तहत किया है, उसको भी निरस्त कर नजूल भूमि को सरकार के खाते में निहित करें. कोर्ट ने सरकार से कहा कि कोई नई नीति सरकार नहीं ला सकती है.

हाईकोर्ट के फैसले को रुद्रपुर की सुनीता ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी. उन्होंने एसएलपी के जरिए कहा कि भूमि के लोगों को उत्तराखंड सरकार की पॉलिसी में फ्री होल्ड किया गया था. लेकिन, भूमि के लोगों को बगैर सुने हाईकोर्ट ने आदेश पारित कर दिया. हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने भी हाईकोर्ट के इसी फैसले को चुनौती दी. उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के साथ निरस्त करने की मांग की थी.

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क्या है नजूल भूमिःसरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. जानकारी के मुताबिक, देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे ज्यादा नजूल भूमि है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 3,92,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर करीब 2 लाख से ज्यादा लोग काबिज हैं.

हर चुनाव में उछला नजूल का मुद्दाःनैनीताल हाईकोर्ट ने एक PIL पर नजूल भूमि में काबिज लोगों को हटाने के आदेश दिए थे. जिसके बाद से ही बीजेपी के लिए नजूल भूमि चुनावी मुद्दा बन गया था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी नजूल में मालिकाना हक (people demand ownership of nazul land) को लेकर खूब बयानबाजी हुई थी. निकाय चुनाव में भी नजूल को मुद्दा बनाकर बीजेपीने उधम सिंह नगर जिले के दोनों नगर निगम में अपने मेयर काबिज किए थे.

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