काशीपुरः कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच मां बाल सुंदरी देवी का डोला देर रात नगर मंदिर से चलकर तड़के ब्रह्म मुहूर्त में चैती मंदिर पहुंचा. पुरोहितों की ओर से पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गई. वहीं, सुबह से मंदिर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा रहा.
चैती मंदिर पहुंचा मां बाल सुंदरी देवी का डोला. बता दें कि काशीपुर में लगने वाला ऐतिहासिक चैती मेला बीते साल कोरोना प्रकोप के चलते स्थगित कर दिया गया था. इस बार चैत्र महीने के पहले नवरात्र से लगने वाले मेले का शुभारंभ शहरी विकास एवं खाद्य मंत्री बंशीधर भगत ने बीती 13 अप्रैल को पूजा-अर्चना कर किया था. लेकिन तेजी से बढ़ रही कोरोना महामारी के चलते जिला प्रशासन ने मेले को स्थगित कर दिया. श्रद्धालुओं को मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में प्रसाद चढ़ाने को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अनुमति दी.
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इसी के तहत सप्तमी और अष्टमी की रात्रि को मां बाल सुंदरी देवी का डोला नगर के मोहल्ला पक्का कोट स्थित पंड्डा निवास से निकला. आज तड़के डोला चैती परिसर स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर पहुंचा. श्रद्धालुओं ने कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए माता के दर्शन कर प्रसाद चढ़ाना शुरू कर दिया है. इससे पहले मां भगवती बाल सुंदरी देवी को पंडा मनोज अग्निहोत्री के आवास पर सार्वजनिक दर्शन के लिए फूलों और पारंपरिक वस्त्रों में सजाया गया. श्रद्धालुओं ने यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मां के दर्शन किए.
मां बाल सुंदरी की प्रतिमा पर मौजूद हैं मां के तीनों स्वरूप
सहायक पंडा मनोज अग्निहोत्री ने बताया कि मां बाल सुंदरी देवी का डोला त्रयोदशी व चतुर्दशी यानी कि 25 और 26 अप्रैल की मध्यरात्रि को वैदिक मंत्रोच्चार के उपरांत वापस नगर मंदिर पहुंचेगा. मां बाल सुंदरी देवी की यह अकेली प्रतिमा है, जो कि बाल रूप में है. मां के चेहरे पर एक अबोध बालिका जैसा भोलापन और तेज विराजमान है. साथ ही मां के सिर पर मुकुट है, जो कि महालक्ष्मी का प्रतीक है. दाएं हाथ में कमल है, जो कि मां सरस्वती का प्रतीक है और बाएं हाथ में प्याला है, जो महाकाली का प्रतीक है. इसलिए मां बाल सुंदरी देवी की इस प्रतिमा में मां के तीनों रूप विद्यमान हैं.