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अव्यवस्थाओं से जूझ रहा स्पोर्ट्स स्टेडियम, जलभराव से बढ़ रहा डेंगू का खतरा

बरसात के मौसम में जहां डेंगू अपने पैर पूरे प्रदेश भर में पसारता नजर आ रहा है, तो वहीं काशीपुर में स्पोर्ट्स स्टेडियम में भी जमा बरसाती पानी और बड़ी-बड़ी घास में उड़ रहे मच्छरों से खिलाड़ियों में भारी खौफ है.

स्पोर्ट्स स्टेडियम

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Published : Sep 22, 2019, 12:00 PM IST

काशीपुरःरामनगर रोड स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम में आने वाले प्रतिभावान खिलाड़ी सरकार की उपेक्षा के चलते बीमारी के ट्रेक पर अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं. मगर सरकार में खेल विभाग देखने वाले मंत्री यानि प्रदेश के खेल मंत्री अरविन्द पांडेय ने आज तक काशीपुर स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम की दुर्दशा की तरफ ध्यान देने की जहमत नहीं की. इसे लेकर खिलाड़ी ही नहीं, खेल प्रेमियों में खासा रोष है.

काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम.

काशीपुर के स्पोर्ट्स स्टेडियम में दुर्दशा का आलम यह है कि यहां बड़ी-बड़ी घास डेंगू जैसी गंभीर बीमारी को न्यौता देती साफ नजर आ रही है. पूरा प्रदेश डेंगू की चपेट में है. ऐसे में घास और बारिश के कारण मैदान पर जमा गन्दे पानी की वजह से यहां अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों के साथ-साथ आर्मी की प्रेक्टिस करने आने वाले युवकों को काफी परेशानी का सामना कर पड़ रहा है.

उनकी बस एक ही मांग है कि खेल मंत्री अपनी नजर इस स्टेडियम की तरफ करें और इस स्टेडियम का उद्धार करें. यहां पर समय-समय पर राज्यस्तरीय से लेकर ब्लॉक स्तर तक की विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं होती रहती हैं. 1972 में बने काशीपुर के इस स्पोर्ट्स स्टेडियम की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने की थी. जिसका उद्देश्य था कि खेल प्रतिभाएं आगे आएं और यहां से प्रशिक्षण लेकर खिलाड़ी विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करें.

यहां से प्रशिक्षण लेकर कई खिलाड़ियों ने सफलता की बुलंदियों को भी छुआ है, लेकिन आज ये स्टेडियम अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड को बने हुए 17 साल से अधिक हो चुका है. प्रदेश सरकार में न जाने कितने खेल मंत्री बने, मगर आज तक इसकी तरफ कोई सुध नहीं ले सके. यहां पर हॉकी, बॉलीवाल, बॉक्सिंग, वेटलिफ्टिंग, क्रिकेट, बैडमिंटन, एथलीट आदि कई खेलों के जिला और राज्यस्तरीय आयोजन होते ही रहते हैं.

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खेलों के सुधार के लिए प्रदेश भर में स्टेडियम बनाये बनाए जा रहे हैं, मगर 42 साल पुराने इस स्टेडियम की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. यही वजह है कि कई खिलाड़ी यहां आने के बजाय अन्य प्रदेशों में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. प्रदेश के खेल मंत्री अरविन्द पांडेय भले ही यहां आने वाले खिलाड़ियों से हालात सुधारने की बात कह रहे हैं देखना यह होगा कि इस स्टेडियम की दशा कब तक सुधरती है.

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