काशीपुर: इस बार 4 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी. काशीपुर में दीपावली (Deepawali) का बाजार सज चुका है. बात अगर बाजार (Market) की करें तो मिट्टी के बने दीयों का बाजार भी सज गया है. हालांकि इस बाजार से रौनक गायब है. क्योंकि इस बार भी मिट्टी के दीये को लोग कम खरीद रहे हैं. अबकी दीये की जगह फैंसी दीये और विद्युत झालर ने ली है. जिसके कारण कुम्हारों का यह पुश्तैनी धंधा सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है. जिससे कुम्हारों के आगे रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है.
दीपावली का पर्व नजदीक है. दीपावली के पर्व पर मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों के चेहरे मुरझाए हुए हैं. क्योंकि इस बार भी मिट्टी के दीये (Earthen lamps) को लोग कम खरीद रहे हैं. जिस कारण मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों को आर्थिकी की चिंता सताने लगी है. दीपावली पर्व को लेकर कुम्हार परिवार दुर्गापूजा के बाद से ही अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं. कुम्हार परिवार मिट्टी के छोटे-बड़े दीये, कलश और लक्ष्मी की मूर्ति बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं.
पढ़ें-अल्मोड़ा: 400 साल पुराना ताम्र उद्योग झेल रहा उपेक्षा का दंश, कारीगरों के सामने रोजी रोटी का संकट