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चढ़ते पारे से क्यों डर रहा है वन विभाग, जानिए पूरी कहानी

जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ने पर वन्यजीवों के अस्तिव पर भी संकट खड़ा होने लगता है. इस फायर सीजन मे अभीतक 84 वनाग्नि की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

खटीमा
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Published : Apr 24, 2020, 12:08 PM IST

खटीमा:15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो चुका है. तापमान बढ़ने के साथ-साथ उत्तराखंड के जंगलों की आग से सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ने लगी है. एक अप्रैल से लेकर 15 अप्रैल तक उत्तराखंड में वनाग्नि का 84 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. ऐसे में वन विभाग वनों में लगने वाली आग को रोकने को लेकर संजीदा हो गया है.

पारे के चढ़ान से वन विभाग हलकान.

यही कारण है कि फायर सीजन को लेकर वन महकमे ने कमर कस ली है. खटीमा रेंज के कर्मचारी सड़क से लगे जंगल के इलाकों में सूखे पत्तों में आग लगाकर फायर लाइन का निर्माण कर रहे हैं. मकसद ये है कि जंगल में आग लगने की स्थिति में आग एक जगह से फायर ब्लॉक की इस विधि से आगे न बढ़ सके.

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वन रेंजर खटीमा बीएस बिष्ट के अनुसार कर्मचारी फायर सीजन में आग की रोकथाम को लेकर कार्यरत हैं. जंगलों में जगह-जगह सूखे पत्तों को जलाकर फायर लाइन तैयार की जा रही है, ताकि जंगल में गर्मी के समय लगने वाली आग विकराल न हो सके व ज्यादा न फैल सके.

बता दें कि हर साल वन विभाग की तैयारियां धरी की धरी रह जाती हैं. वन विभाग की तैयारियों के बावजूद उत्तराखंड में हर साल कई हजार हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो जाता है. इससे न सिर्फ करोड़ों रुपए की वन संपदा को नुकसान पहुंचता है, बल्कि वन्यजीवों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो जाता है.

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