काशीपुर:देशभर के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक काशीपुर स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर शक्तिपीठ का अपना अलग ही महत्व है. साथ ही इस मंदिर में विराजमान मां भगवती बाल सुंदरी देवी के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. मंदिर में स्थित कदंब का वृक्ष को मां की शक्ति का परिचायक माना जाता है. इस वृक्ष की खास बात है कि यह वृक्ष पूरी तरह से खोखला है, लेकिन फिर भी ये वृक्ष हमेशा हरा-भरा रहता है.
मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में स्थित है 'चमत्कारी' पेड़, श्रद्धालुओं की आस्था को करता है प्रगाढ़ - मां बाल सुंदरी देवी मंदिर
उत्तराखंड में मां भगवती के कई शक्तिपीठ हैं. उन्हीं में से एक काशीपुर स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर भी है. जहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर प्रांगण में मौजूद कदंब का वृक्ष लोगों की आस्था को और प्रगाढ़ बनाता है.
पेड़ साल भर रहता है हरा-भरा:आमतौर पर आपने कई वृक्षों को देखा होगा. लेकिन प्रत्येक वृक्ष अमूमन नीचे से ऊपर तक हरा-भरा होता है. वहीं काशीपुर में मां बाल सुंदरी देवी मंदिर परिसर में एक वृक्ष ऐसा वृक्ष है जो ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से खोखला है. लेकिन उसके बावजूद भी वृक्ष हरा-भरा रहता है. काशीपुर शहर से 5 किलोमीटर दूर स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में यह कदंब का वृक्ष है. इसकी बारे में मां बाल सुंदरी देवी मंदिर के मुख्य पंडा विकास कुमार ने बताया कि यह मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में मां काली के मंदिर के ठीक सामने स्थित है. उनके मुताबिक प्राचीन मान्यता के अनुसार यह वृक्ष पूरी तरह से जला हुआ है. लेकिन फिर भी यह वृक्ष पूरी तरह से हरा रहता है.
पेड़ के बारे में मान्यता:लेकिन किसी व्यक्ति के द्वारा तर्क किया गया कि इस प्राचीन शक्तिपीठ में क्या शक्ति है तो इसे सिद्ध करने के लिए उनके पूर्वजों ने इस वृक्ष के ऊपर पीले सरसों के दाने डाले तो यह वृक्ष पूरी तरह से जल गया. उस व्यक्ति ने इस पर कहा कि किसी भी वृक्ष का विनाश करना या नाश करना शक्ति का परिचायक नहीं होता है. सत्य का परिचय होता है किसी का कल्याण या किसी का उद्धार करना. इस बात को सुनकर उनके पूर्वजों ने पास ही रखे जल को अभिमंत्रित कर वृक्ष पर छिड़का तो यह वृक्ष फिर से हरा-भरा हो गया. लेकिन इसकी छाल जलने की वजह से खोखली रह गई, जोकि इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी पूरी तरह से खोखली है. लोग इसे मां भगवती का चमत्कार मानते हैं.