गदरपुर:नगर के गूलरभोज क्षेत्र के जलाशयों में मछली मारने का ठेका खत्म हो चुका है. जिसके बाद पुलिस और संबंधित विभागों को जलाशयों की देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन इस सब के बीच मछवारे बेखौफ होकर मछलियों का अवैध शिकार कर रहे हैं. जिसके चलते सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहीं मामले को लेकर पुलिस प्रशासन अनजान बना हुआ है.
बता दें कि बोर जलाशय और हरिपुरा जलाशय में एक जुलाई से 31 अगस्त तक प्रशासन मछलियों के शिकार पर पाबंदी लगा देता है, क्योंकि इस समय मछली का प्रजनन काल होता है. मत्स्य विभाग द्वारा मछली के अंडे को भी जलाशयों में छोड़ा जाता हैं. वहीं सरकार की ओर से ठेका समाप्त करने के बाद जलाशय से मछली नहीं उठाई जाती है.
लोगों का कहना है कि नियमों को ताक पर रखते हुए संबंधित विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध मछलियों का जमकर शिकार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि ठेका समाप्त होने के बाद भी लाखों रुपये की मछलियों का अवैध शिकार हो चुका है.
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इस दौरान मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक एस.के. छिमबाल ने कहा कि जलाशय की नीलामी न होने के कारण ऐसी स्थित बनी हुई है. वहां पर एक ही इंस्पेक्टर और एक ही चौकीदार होने के कारण मछली का शिकार रोका जाना संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि एक जुलाई से 31 अगस्त तक मछलियों की सुरक्षा हेतु जिला अधिकारी, पुलिस अधिक्षक और मत्स्य विभाग सचिव को पत्राचार किया गया है.
शासन स्तर से जितना हो सके मछली का शिकार रोकने के लिए प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जलाशय के आसपास के लोग ही इसमें संलिप्त हैं और इससे पहले ठेकेदार पर फायरिंग भी की जा चुकी है. इस दौरान पैसे लेकर पर्ची काटने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारा कोई आदमी पर्ची नहीं बनाता. वहीं लोगों का कहना है कि बोर जलाशय में कम से कम 200 लोगों द्वारा मछलियों का शिकार अवैध तरीके से करते हैं.
हैरानी की बात ये है कि पुलिस चौकी से मात्र 1 किमी की दूरी से ही डैम का एरिया शुरू हो जाता है, लेकिन स्थानीय पुलिस भी निष्क्रिय रहती है. इतने बड़े पैमाने पर मछलियों के अवैध शिकार से सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.