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उत्तराखंड की सबसे लंबी FIR: सॉफ्टवेयर फेल, 5 दिन से हो रही दर्ज, अभी लगेगा और वक्त

उधम सिंह नगर के काशीपुर कोतवाली में अटल आयुष्मान घोटाला मामले में उत्तराखंड की सबसे लंबी एफआईआर दर्ज की जा रही है. एफआईआर लिखते हुए 5 दिन हो चुके हैं. अभी दो दिन और लगने की संभावना है. दरअसल, अटल आयुष्मान योजना के तहत जिन अस्पतालों ने घोटाला किया है. शासन के आदेश पर उन अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है.

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Published : Sep 20, 2019, 1:21 PM IST

Updated : Sep 20, 2019, 5:43 PM IST

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काशीपुर:उधम सिंह नगर के काशीपुर कोतवाली में उत्तराखंड के इतिहास की अबतक की सबसे लंबी एफआईआर दर्ज की जा रही है. रिपोर्ट लिखते हुए अबतक पांच दिन हो चुके हैं, अभी करीब दो दिन और लगेंगे. दरअसल, यह एफआईआर 6 अस्पताल मालिकों के खिलाफ लिखी जा रही है, जिन्होंने अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा किया है और सरकार को लाखों का चूना लगाया है.

पांच दिन से दर्ज हो रही एफआईआर.

नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर शासन स्तर पर हुई घोटाले की जांच में काशीपुर क्षेत्र के 6 अस्पतालों का नाम सामने आया है. जिसके बाद विभाग ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है. इनमें से दो अस्पतालों एमपी अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल के खिलाफ दर्ज की जा रही एफआईआर पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है. हिंदी और अंग्रेजी भाषा की भेजी गई दोनों एफआईआर लिखने में मुंशी के पसीने छूट रहे हैं.

ऐसा इसलिये क्योंकि जांच टीम ने एमपी अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल सहित 6 अस्पतालों के खिलाफ तहरीर दी है. इसमें से एमपी अस्पताल की तहरीर 53 पेज की है, तो दूसरे देवकी नंदन अस्पताल की 22 पेज की. तहरीरों में ज्यादा विवरण होने के कारण इन अस्पताल संचालकों के खिलाफ ऑनलाइन एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती क्योंकि कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने वाले साफ्टवेयर की क्षमता केवल दस हजार शब्द ही हैं, इसलिए यह एफआईआर मैनुअली दर्ज की जा रही है.

ताजा जानकारी के मुताबिक, अभी तक 5 अस्पतालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है और अभी एक अस्पताल के खिलाफ रिपोर्ट लिखी जानी बाकी है.

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क्या है मामला ?
काशीपुर निवासी मुनिदेव विश्नोई ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है. एक ही मरीज के रिश्तेदारों और परिचितों को निजी अस्पतालों में भर्ती कर एक जैसी बीमारियों के इलाज कराया जा रहा है. जिस पर हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन को जांच के आदेश दिए थे.

हाई कोर्ट के आदेश के बाद शासन स्तर पर एक उच्च स्तरीय जांच टीम का गठन किया गया. जांच टीम ने रामनगर रोड स्थित एमपी अस्पताल और तहसील रोड स्थित देवकी नंदन अस्पताल में योजना में भारी अनियमितताएं पकड़ीं. दोनों अस्पतालों ने नियम विरुद्ध रोगियों के फर्जी उपचार बिलों का क्लेम वसूलने का मामला पकड़ में आया है. जिसके बाद इन अस्पतालों को अटल आयुष्मान योजना से हटाते हुए अस्पताल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

अस्पतालों के खिलाफ आरोप यह है कि इस योजना के लाभ के लिये सरकारी अस्पतालों ने इन अस्पतालों में ऐसे लोगों को रेफर किया जा रहा है. जिनकी न बीमारी का पता है और न रेफर करने वाले का. याचिका में जिले के केलाखेड़ा अस्पताल का उदहारण देते हुए कहा है कि इस अस्पताल से 47 लोगों को इन अस्पतालों के लिये रेफर किया गया, जबकि इनकी बीमारी की कोई पुख्ता जानकारी है और न अस्पताल का कोई डाक्टर है.

अटल आयुष्मान योजना के घोटाले के मामले में पूर्व में भी काशीपुर के आस्था अस्पताल के डॉक्टर राजीव कुमार गुप्ता और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा के फार्मासिस्ट अनुराग रावत के खिलाफ पीएचक्यू के आदेश के बाद गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर धोखाधड़ी करने के आरोप में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 491 तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. अस्पताल पर गलत तथ्य बताकर अनुबंध करने और गलत तरीके से योजना का भुगतान पाने का आरोप लगा है.

Last Updated : Sep 20, 2019, 5:43 PM IST

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