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खटीमा: द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर थारू समाज में खुशी की लहर - Draupadi Murmu elected president

द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर आदिवासी समाज में खुशी की लहर है. खटीमा में थारू जनजाति के लोगों ने मिष्ठान वितरण और आतिशबाजी कर खुशी मनाई.

Khatima
खटीमा

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Published : Jul 22, 2022, 10:17 AM IST

खटीमा:एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने 15वें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की. साथ ही वह पहली ऐसी महिला राष्ट्रपति होंगी, जिन्होंने देश को आजादी मिलने के बाद जन्म लिया है. देश की राष्ट्रपति के रूप में आदिवासी महिला के पहली बार निर्वाचित होने पर आदिवासी समाज में खुशी की लहर है. खटीमा में भी थारू जनजाति के लोगों ने मिष्ठान वितरण और पटाखे फोड़कर खुशी जाहिर की.

बीजेपी जनजाति मोर्चा के प्रदेश प्रभारी राकेश राणा ने कहा कि भारत के इतिहास में ये पहला मौका है, जब किसी जनजाति समाज का व्यक्ति वह भी महिला देश के सर्वोच्च पद पर बैठने जा रही है. इसके लिए वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनजाति समाज की ओर से धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने द्रौपदी मुर्मू को भारत के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया.

द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर थारू समाज में खुशी की लहर

द्रौपदी मुर्मू को मिले 2824 वोट:एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने 15वें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की. कुल 4754 मत पड़े जिसमें से द्रौपदी मुर्मू ने प्रथम वरीयता के 2824 मत हासिल किए, जबकि यशवंत सिन्हा को 1,877 मत मिले. 53 मत अवैध घोषित किए गए. इसके बाद आधिकारिक तौर पर द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में विजयी घोषित किया गया. हालांकि, तीसरे राउंड में बढ़त के बाद से ही उन्हें बधाई देने का दौर शुरू हो गया था.
पढ़ें- आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने जीता राष्ट्रपति चुनाव, मोदी-नड्डा, शाह, राजनाथ ने मुलाकात कर दी बधाई

मुर्मू का राजनीतिक सफर:20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं. राजनीति में आने के पहले वह श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी हैं. वह ओडिशा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी. ओडिशा विधानसभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था.

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