काशीपुर:पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही अफ्रीकी मांगुर मछली का पालन करने और इसकी बिक्री करने पर सरकार और एनजीटी द्वारा रोक लगा दी गई थी. इसके बावजूद इस मछली का पालन आज भी काशीपुर, जसपुर और महुआखेड़ा क्षेत्रों में खुलेआम हो रहा है. साथ ही बाजारों और मंडियों में बेचकर सरकार के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है. मांगुर मछली पालक पर्यावरण के अलावा जीव-जंतुओं और मनुष्य को भी नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. जिसके बाद अब जिला प्रशासन के द्वारा मांगुर मछली पालकों पर कार्रवाई करने की तैयारी हो रही है. जिसके तहत मत्स्य विभाग के निरीक्षक ने जांच की.
मांगुर मछली पर्यावरण के अलावा पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए घातक है. इसके सेवन करने से अनेकों प्रकार की बीमारी होने की आशंका होती है. इसको देखते हुए सरकार ने इसके पालने और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है. इसके बावजूद काशीपुर, जसपुर और महुआखेड़ा क्षेत्र में कई ऐसे तालाब हैं जिनमें बड़ी तादाद में मांगुर मछली पालन किया जा रहा है. एनजीटी और केंद्र सरकार द्वारा वर्षों पूर्व मांसाहारी मांगुर मछली पर देशभर में इसके पालने और बेचने पर रोक लगाई गई है. जिला प्रशासन के द्वारा प्रतिबंधित मांगुर मछली पालकों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है. मत्स्य विभाग के मत्स्य निरीक्षक विकास सिंह ने रामनगर रोड पर स्थित सोना फार्म में पाली जा रही मछली के तालाबों का निरीक्षण किया.
मत्स्य निरीक्षक विकास सिंह ने बताया कि जांच के बाद मछली पालकों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि नोटिस देने के एक सप्ताह के भीतर अगर मछली पालकों ने प्रतिबंधित मांगुर मछली को नष्ट नहीं किया तो प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी. टीम द्वारा तालाबों में पाली जा रही मांगुर मछली की खेप को जमीन में गड्ढा खोदकर दफन किया जाएगा.