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उत्तराखंड का मिथकः जो शिक्षा मंत्री बना वो अगला चुनाव हारा !, अरविंद पांडे के लिए बड़ी चुनौती

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे अपना पांचवां विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 4 बार के विधायक अरविंद पांडे भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री का पद संभाल रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड में मिथक है कि शिक्षा मंत्री बनने के बाद वह विधायक अपना अगला चुनाव हार जाता है. इसलिए अरविंद पांडे के लिए 2022 का चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.

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हल्द्वानी

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Published : Dec 21, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Dec 21, 2021, 4:58 PM IST

हल्द्वानीःउत्तराखंड के इतिहास में एक मिथक है कि जो भी विधायक शिक्षा मंत्री बनता है, वह अपना अगला विधानसभा चुनाव हार जाता है. ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव में गदरपुर विधानसभा सीट से विधायक और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के सामने फिर से विधायक बनने की चुनौती है. अरविंद पांडे पिछले 20 साल से लगातार विधायक चुने जाते आ रहे हैं.

अरविंद पांडे ने अपना पहला चुनाव 2002 और दूसरा 2007 में बाजपुर से लड़ा और जीते. इसके बाद 2012 में बाजपुर सीट आरक्षित होने के बाद पिछले 10 साल से गदरपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्हें मंत्री पद देकर शिक्षा विभाग दिया गया. ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अरविंद पांडे पांचवीं बार विधायक बनकर इतिहास रचेंगे.

अरविंद पांडे के लिए बड़ी चुनौती

14 हजार वोटों से हरायाः भाजपा के वरिष्ठ नेता और संघ से नाता रखने वाले अरविंद पांडे लगातार चार बार (2022, 2007, 2012 और 2017) चुनाव जीत चुके हैं. 2017 में अरविंद पांडे को गदरपुर सीट पर 41,530 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के राजेंद्र पाल को 27,424 वोट हासिल हुए थे. अरविंद पांडे ने करीब 14 हजार मतों से जीत हासिल की थी. इस दौरान अरविंद पांडे त्रिवेंद्र सरकार में पहली बार शिक्षा मंत्री बने. हालांकि, उत्तराखंड में राजनीतिक उथल-पुथल हुई. तीन मुख्यमंत्री बदल दिए गए. लेकिन अरविंद पांडे अभी भी शिक्षा मंत्री के पद पर बने हुए हैं.

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उत्तराखंड का शिक्षा मंत्री से जुड़ा मिथकःउत्तराखंड में मिथक है कि जो विधायक शिक्षा मंत्री बनता है, उसके बाद वह अगला चुनाव हार जाता है. जैसे कि 2000 में अंतरिम सरकार में प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री तीरथ सिंह रावत बने. लेकिन 2002 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए. 2002 में एनडी तिवारी की सरकार बनी और नरेंद्र सिंह भंडारी को शिक्षा मंत्री बनाया गया. हालांकि, 2007 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र सिंह भंडारी हार गए.

दो-दो शिक्षा मंत्री हारे चुनावः इसके बाद 2007 में भाजपा की सरकार आई और शिक्षा मंत्री के तौर पर खजान दास और गोविंद सिंह बिष्ट ने बारी-बारी से कार्यभार संभाला. लेकिन अगले ही 2012 के चुनाव में दोनों ही नेता चुनाव हार गए. इसके बाद 2012 में कांग्रेस की सरकार बनी. इस दौरान यूकेडी से कांग्रेस को समर्थन देने वाले मंत्री प्रसाद नैथानी को शिक्षा मंत्री बनाया गया. लेकिन 2017 के चुनाव में मंत्री प्रसाद नैथानी विधानसभा चुनाव हार गए. इसी क्रम में 2017 में भाजपा की सरकार आई और अरविंद पांडे शिक्षा मंत्री बनाया गया है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या अरविंद पांडे शिक्षा मंत्री से जुड़े इस मिथक को तोड़ पाते हैं या नहीं, क्योंकि अरविंद पांडे लगातार 4 बार विधायक रहे चुके हैं और ऐसे में यह उनका पांचवां चुनाव होगा.

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जनता फिर देगी आशीर्वादः ETV भारत ने जब शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे से इस मिथक को लेकर सवाल पूछा तो अरविंद पांडे ने मुस्कुराते हुए कहा कि उन्होंने उत्तराखंड की शिक्षा को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया है. ट्रांसफर, पोस्टिंग के नाम से जाने जाने वाले शिक्षा विभाग को उन्होंने स्वच्छ छवि दी है. वह काम करने पर विश्वास करते हैं और पिछले कई सालों से जनता के बीच काम करते आ रहे हैं. जनता ने उनको हमेशा विधायक बनाया है और जनता उनको एक बार फिर आशीर्वाद देगी और विधायक बनाएगी. उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता न्यायाधीश है और क्षेत्र की जनता को लगता है कि अरविंद पांडे ने बेहतर काम किया है, तो जरूर आशीर्वाद देगी.

Last Updated : Dec 21, 2021, 4:58 PM IST

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