रुद्रपुर: आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है. कई कर्म योद्धा ऐसे हैं जो इस मुश्किल घड़ी में सरकार का साथ दे रहे हैं और अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं. ऐसे ही दो परिवार हैं ऊधम सिंह नगर जिले के जो बीते दो माह से कोविड-19 के खिलाफ मैदान में उतरकर जंग लड़ रहे हैं.
कोरोना से जंग में मुस्तैदी से जुटे ये परिवार. आज हम ऐसे ही दो परिवारों से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपने परिवार संग कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं. किच्छा सामुदायिक अस्पताल में दो ऐसी महिला डॉक्टर तैनात हैं जो अपने पति संग इस महामारी के खिलाफ पिछले दो माह से लड़ रही हैं.
किच्छा अस्पताल में तैनात डॉक्टर रश्मि सेमवाल पिछले दो माह से अपने डेढ़ साल के बेटे को छोड़ कर कोविड-19 की ड्यूटी में तैनात हैं. उनके पति डॉक्टर कविंद्र भी डीडीहाट में कोविड ड्यूटी में तैनात हैं. ऐसे में डॉक्टर रश्मि के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी आ गयी है. घर में उनके बेटे की देख भाल उनके पिता कर रहे हैं.
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डॉक्टर रश्मि ने ईटीवी भारत से अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि परेशानियां तो होती हैं लेकिन डॉक्टर का फर्ज इन परेशानियों का डटकर मुकाबला करना है. उनके पिता भी वैटनरी अस्पताल में तैनात हैं और माता लॉकडाउन होने के चलते नोएडा में फंसी हुई हैं. ऐसे में घर और अस्पताल दोनों ही जगह उनकी जिम्मेदारी कई गुना बढ़ गयी है.
ऐसी ही एक और डॉक्टर हैं शिखा, जो किच्छा अस्पताल में ही तैनात हैं. शिखा अपने 10 साल के बेटे को घर में अकेला छोड़कर कोविड-19 ड्यूटी में लगी हुई हैं. शिखा के पति शिमला के मेडिकल कॉलेज में कोविड 19 की ड्यूटी में तैनात हैं. पिछले दो माह से उनके कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई है.
डॉक्टर शिखा ने बताया कि वह सुबह से शाम तक अस्पताल में लोगों की स्कैनिंग करती हैं. उसके बाद कुछ वक्त अपने बेटे के साथ व्यतीत करती हैं.
डॉक्टर रश्मि और शिखा की तरह देश की हजारों मां इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ रही हैं, जो अपने फर्ज के आगे अपने परिवार की भी अनदेखी कर रही हैं. ईटीवी भारत ऐसे योद्धाओं को सलाम करता है जो इस वैश्विक महामारी में लोगों की जान बचाने को डटे हुए हैं.